रूस की राजधानी मॉस्को में हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी संसदीय सम्मेलन में भारत की ओर से कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष डॉ. शशि थरूर ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा और स्पष्ट रुख अपनाया। सम्मेलन में रूस के वरिष्ठ सांसद लियोनिद स्लुत्स्की ने जब तुर्की, ईरान, चीन और पाकिस्तान सहित कई देशों को एक साझा आतंकवाद विरोधी मंच पर लाने का प्रस्ताव रखा, तब शशि थरूर ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया और रूस को बताया कि पाकिस्तान को इस मंच में शामिल करना न सिर्फ अनुचित, बल्कि आतंकवाद पीड़ित देशों के लिए अपमानजनक भी है।
शशि थरूर ने अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान दशकों से आतंकवादी संगठनों को पनाह, फंडिंग और प्रशिक्षण देता रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे देश को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग का हिस्सा बनाना, उन हज़ारों निर्दोष लोगों के बलिदान का अपमान है, जिन्होंने आतंकवाद की वजह से अपनी जान गंवाई। थरूर ने यह भी रेखांकित किया कि पाकिस्तान की नीति दोहरी है—एक ओर वह खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, दूसरी ओर वह सीमा पार आतंकवाद को खुले तौर पर बढ़ावा देता है, खासकर भारत के खिलाफ।
भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई है और उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की रही है। शशि थरूर के इस बयान को रूस सहित अन्य देशों ने गंभीरता से लिया है और भारत की आपत्तियों को नोट किया है। सम्मेलन के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं लाता और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक उसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह नहीं दी जानी चाहिए।
यह घटनाक्रम न केवल भारत की सख्त कूटनीतिक नीति को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे पर उसकी नैतिक दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता को भी रेखांकित करता है। शशि थरूर के इस स्पष्ट संदेश ने एक बार फिर दुनिया को यह याद दिला दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समझौता नहीं किया जा सकता।