भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट निर्माण के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नियमों में ढील देते हुए देश में इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने का फैसला किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण के लिए SEZ स्थापित करने हेतु आवश्यक न्यूनतम सटीक भूमि क्षेत्र 50 हेक्टेयर से घटाकर सिर्फ 10 हेक्टेयर कर दिया गया है। इस निर्णय से छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए भी SEZ में इकाई स्थापित करना आसान हो गया है।
इसके अलावा, नियम 7 में संशोधन करके SEZ भूमि को गिरवी या पट्टे पर देने की स्थिति में भी अनुमति दे दी गई है, अगर यह केंद्र या राज्य सरकार या उनकी अधिकृत एजेंसियों को दी गई हो। नियम 18 में बदलाव करते हुए इन क्षेत्रों की इकाइयों को घरेलू टैरिफ एरिया (DTA) में भी अपने उत्पाद बेचने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे आवश्यक शुल्क का भुगतान करें। नियम 53 में संशोधन करके मुफ्त में प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं के मूल्य को भी नेट फॉरेन एक्सचेंज (NFE) गणना में शामिल किया जाएगा।
इन नीतिगत सुधारों के बाद, माइक्रोन सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को गुजरात के सानंद में 37.64 हेक्टेयर पर 13,000 करोड़ रुपये के निवेश से इकाई स्थापित करने की मंजूरी मिल गई है, जबकि हुबली ड्यूरेबल गुड्स क्लस्टर प्राइवेट लिमिटेड (एक्वस ग्रुप) को कर्नाटक के धारवाड़ में 11.55 हेक्टेयर पर 100 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण की इकाई स्थापित करने की अनुमति मिली है।
सरकार का यह कदम सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को मजबूत करने और देश को इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।