नेपाल में राजतंत्र समर्थकों और गणतंत्र समर्थकों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। आज काठमांडू में दोनों गुटों द्वारा बड़े विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिससे शहर में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका गहरा गई है।
87 वर्षीय नवराज सुवेदी के नेतृत्व में संयुक्त जन आंदोलन समिति ने नेपाल में राजतंत्र की पुनर्बहाली की मांग को लेकर अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की है। उनका प्रदर्शन त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास आयोजित किया जा रहा है, जहां वे 1991 के संविधान को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। इस संविधान में संवैधानिक राजतंत्र और नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित किया गया था।
सुवेदी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर एक सप्ताह के भीतर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो वे और अधिक उग्र विरोध प्रदर्शन करेंगे।
वहीं, गणतंत्र समर्थक दलों ने भी राजतंत्र बहाली के विरोध में काठमांडू के भृकुटीमंडप क्षेत्र में एक प्रतिवाद रैली का आयोजन किया है। सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट समेत चार दलों के गठबंधन ‘सोशलिस्ट फोरम’ ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
गणतंत्र समर्थकों ने लोकतंत्र के लिए दी गई कुर्बानियों को याद दिलाते हुए कहा कि वे राजतंत्र की वापसी के किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध करेंगे। उनका मानना है कि नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाए रखना ही देश के विकास और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
इन दोनों विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए नेपाल पुलिस ने काठमांडू में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। राजतंत्र समर्थकों के आंदोलन को हाल के दिनों में नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर शासन प्रणाली के प्रति लोगों की नाराजगी का नतीजा बताया जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि नेपाल की सरकार इस बढ़ते असंतोष और विरोध प्रदर्शन को कैसे संभालती है और क्या यह राजनीतिक संकट और अधिक गहरा सकता है।