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जापान को पूर्वोत्तर भारत के चावल की दरकार, भारत ने दी मंजूरी; अमेरिकी चावल को पीछे छोड़ भारत बना जापान का नया आपूर्तिकर्ता

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जापान में हाल ही में आई खाद्य संकट और घरेलू चावल उत्पादन में गिरावट के चलते वहां की सरकार ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से चावल आयात करने का बड़ा फैसला लिया है। जापान की पारंपरिक पसंद बासमती या अन्य दक्षिण एशियाई किस्में नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के सुगंधित, हल्के और जैविक चावलों की ओर है। जापानी उपभोक्ता इन किस्मों को स्वाद, पोषण और गुणवत्ता के कारण पसंद कर रहे हैं।

अब तक जापान में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक अमेरिका था, लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिकी चावल की कीमतों में बढ़ोतरी, सप्लाई चेन में बाधा और गुणवत्ता को लेकर शिकायतों के कारण जापान ने नया विकल्प तलाशना शुरू किया। भारत सरकार ने इस मौके को भांपते हुए पूर्वोत्तर राज्यों—असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड—के किसानों और निर्यातकों को प्रोत्साहित किया और क्वालिटी सर्टिफिकेशन, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था तेज़ की।

इस समझौते के तहत भारत अब जापान को बड़ी मात्रा में सुगंधित और उच्च गुणवत्ता वाला चावल निर्यात करेगा। जापान के सुपरमार्केट और रेस्तरां में जल्द ही ‘इंडियन नॉर्थ ईस्ट राइस’ की विशेष ब्रांडिंग के साथ चावल उपलब्ध होगा। इससे न केवल भारत के पूर्वोत्तर किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

भारत के लिए यह उपलब्धि न केवल कृषि निर्यात के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है, बल्कि वैश्विक खाद्य बाजार में अमेरिका जैसे दिग्गज देश को पीछे छोड़ने का प्रतीक भी है। इससे भारत-जापान संबंधों को नई मजबूती मिलेगी और पूर्वोत्तर भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान और बढ़ेगी।

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