कांग्रेस द्वारा जम्मू-कश्मीर के नक्शे को लेकर हाल ही में खड़ा हुआ विवाद सिर्फ एक तकनीकी भूल नहीं, बल्कि उसकी वर्षों पुरानी मानसिकता की झलक है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया, जिसे भाजपा ने कांग्रेस की सोची-समझी साजिश करार दिया। हालांकि कांग्रेस ने इसे एक छोटी भूल बताते हुए पोस्ट हटा दी, लेकिन यह सवाल फिर उठ गया कि पार्टी की सोच आखिर कश्मीर को लेकर इतनी अस्पष्ट क्यों है।
इतिहास में झांकें तो पंडित जवाहरलाल नेहरू पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वे जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान को सौंपना चाहते थे। कुछ दस्तावेजों और चर्चाओं में यह बात जरूर सामने आई कि कश्मीर के भविष्य को लेकर उनकी नीति हमेशा लचीली रही, कुछ हालिया डिक्लासिफाइड अमेरिकी दस्तावेजों में यह भी दावा किया गया है कि 1963 में नेहरू सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत में कश्मीर के कुछ हिस्से सौंपने का प्रस्ताव रखा था, जिसे “लाइन ऑफ पीस एंड कोलैबोरेशन” (LOPC) कहा गया। यह प्रस्ताव कभी संसद में नहीं आया और न ही लागू हुआ, लेकिन इस पर आज भी राजनीतिक बहस जारी है। दूसरी ओर, सरदार पटेल, डॉ. भीमराव अंबेडकर और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं ने स्पष्ट रूप से कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए संघर्ष किया। डॉ. मुखर्जी ने तो “एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे” का नारा देकर कश्मीर के पूर्ण विलय की मांग की थी। जिससे कांग्रेस की कोई भी नीति या प्रस्ताव सफल नहीं हो सका।

आज भी जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा। संविधान, संसद और देश की जनता ने बार-बार इस सत्य को दोहराया है। चाहे अनुच्छेद 370 की समाप्ति हो या सीमाओं की रक्षा, भारत ने हर मोर्चे पर कश्मीर के सवाल पर अडिग रुख अपनाया है। कांग्रेस के नक्शे की गलती ने एक बार फिर उसकी पुरानी नीति और सोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा ने इसे मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस से माफी की मांग की और जनता को यह याद दिलाया कि देश की एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
वहीं दूसरी ओर, जब देशभक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा की बात हो रही है, तो एक ओर पाकिस्तानी आर्मी चीफ मुनीर अमेरिका की यात्रा पर हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहां हैं, यह सवाल भी चर्चा में है क्योंकि उनकी वर्तमान लोकेशन को लेकर कोई ताजा सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे समय में जब देश को एकजुटता और स्पष्ट नेतृत्व की जरूरत है, विपक्ष की भूमिका और सक्रियता पर भी सवाल उठना लाजिमी है।
जम्मू-कश्मीर का मुद्दा केवल एक राज्य या क्षेत्र का नहीं, बल्कि भारत की अस्मिता, अखंडता और संप्रभुता का सवाल है। इतिहास गवाह है कि जब-जब देश के हितों पर आंच आई, तब-तब देशभक्त नेताओं ने हर चाल का डटकर मुकाबला किया। आज भी देश की जनता यही चाहती है कि कश्मीर पर कोई समझौता न हो और हर राजनीतिक दल राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखे।
In an official post, the Congress party has shamelessly used Pakistan’s map of Jammu & Kashmir. Let’s be clear — this is not an inadvertent error, it’s a premeditated act that reflects their long-standing mindset.
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 18, 2025
It was Jawaharlal Nehru’s grand plan to give away Jammu & Kashmir… pic.twitter.com/RpuEUqICVL