बाबर ने महाराणा सांगा से इब्राहिम लोदी के खिलाफ मदद मांगी थी। इसके लिए उसने अपना दूत भी मेवाड़ राज दरबार में भेजा था, लेकिन सांगा ने उसकी मदद करने से बिल्कुल मना कर दिया। इसके विपरीत सरहिंद के हाकिम दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी का चचेरे भाई ने बाबर से इब्राहिम लोदी के खिलाफ मदद मांगी थी। यह सारी कहानी पिछले 70 वर्षों में मुगलों के पिट्ठू इतिहासकारों ने झूठी गढ ली है। जिसका कोई प्राथमिक प्रमाण किसी के पास उपलब्ध नहीं है, लेकिन दौलत खान लोधी द्वारा बाबर को लिखे गए पत्र की प्रतियां उपलब्ध है। इसलिए साऺगा पर समय-समय पर लगाए जाने वाले इन गलत आरोपों का पूरे समाज को विरोध करना चाहिए और हमें उतनी ही शक्ति से प्रदर्शन करना चाहिए। जितनी शक्ति से मुसलमान कर रहे हैं। अफगानी इतिहासकार अहमद यादगार की पुस्तक तारीख-ए-सलतनत-ए-अफ़ग़ान में लिखा गया कि बाबर काबुल में मौजूद है और अपने लड़के कामरान के निकाह की तैयारी में मसरूफ है।
देहली में सुल्तान इब्राहिम लोधी सत्तासीन है – उसका चाचा दौलत खान लोदी पंजाब का सूबेदार है. सुल्तान ने अपने चाचा को देहली बुलवाया और चाचा ने खुद ना जाकर अपने लड़के दिलावर खान को भेज दिया। सुल्तान इब्राहिम लोदी अपनी हुक्मउदूली देख नाखुश हुआ और उसने अपने चचाजाद को पकड़ने का हुक्म दिया। दिलावर वहां से जान बचा कर भगा और लाहौर आ अपने बाप को इतिल्ला दी। बाप – दौलत खान लोदी की पेशानी पर चिंता साफ़ थी – सुल्तान उसे ना बख्शेगा – अब सुल्तान को देहली की गद्दी से पृथक करने में ही उसकी और उसके लड़के की जान बच सकेगी। दौलत खान लोदी ने तुरंत दिलावर खान और आलम खान को काबुल रवाना किया जहाँ बाबर शाह मौजूद था।
काबुल में पहुंच दिलावर ने चार बाग़ में बाबर से मुलाकात की। बाबर ने उस से पुछा- तुम ने सुल्तान इब्राहिम का नमक खाया है तो ये गद्दारी क्यों ?
दौलत खान लोदी के लड़के ने उत्तर दिया – लोदी कुनबे ने चालीस साल तक सत्ता संभाली है किन्तु सुल्तान इब्राहिम ने सब अमीरो के साथ बदसलूकी की है – पच्चीस अमीरों को मौत के घाट उतार दिया है किसी को फांसी पर लटका कर , किसी को जला कर। उसकी खुद की जान के वांदे है – और उसे अनेक अमीरों ने बाबर से मदद मांगने भेजा है।
निकाह में मशरूफ बाबर ने एक रात को मोहलत मांगी और चार बाग़ में इबादत की – आए मौला , मुझे राह दें – कुछ हिंट दे कि हिन्द पर हमला कर सकूँ। बाबर ने दुआ में कहा – यदि हिन्द में होने वाले आम और पान यदि उसे तोहफे में दिए जाएंगे तो वो मान लेगा कि खोदा चाहता है कि वो हिन्द पर आक्रमण करें।
अगले दिन – दौलत खान के दूतों ने उसे अधपके आम जो शहद में डूबे हुए थे- पेश किये।
ये देख बाबर उठ खड़ा हुआ – आम की टोकरी देख वो सजदे में झुक गया और अपने सिपहसालारों को हिन्द पर कूच करने का हुक्म दिया.
रेफरेन्स
1. बाबरनामाः लेनपुल अनुदित।
2. एलियट एंड डाउसन की हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया वॉल्यूम पांच में तारीख-ए-सल्तनत-ए-अफ़ग़ान लेखक अहमद यादगार।
3. तारीख-ए-सल्तनत-ए-मखजने-अफगना लेखक जौहर आफताबची।
क्या सच्ची में महाराणा सांगा गद्दार है, क्या है वास्तविकता
- vskjodhpur
- March 24, 2025
- 8:48 am

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