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एक रात में 47% बढ़ गई भारत की समुद्री तटरेखा: वैज्ञानिक बदलाव की पूरी कहानी

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भारत की समुद्री तटरेखा में अचानक 47% की वृद्धि ने देशभर में चर्चा को जन्म दे दिया है। अब तक भारत की तटरेखा 7,516 किलोमीटर मानी जाती थी, लेकिन नई गणना के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 11,098 किलोमीटर हो गया है। यह बदलाव किसी प्राकृतिक घटना या समुद्र के पीछे हटने या आगे बढ़ने से नहीं, बल्कि तटरेखा मापने की वैज्ञानिक पद्धति में बदलाव के कारण हुआ है। दशकों से भारत की तटरेखा की माप सीधी रेखा के आधार पर होती थी, जिसमें खाड़ी, मुहाना, द्वीप, इनलेट्स और तटीय घुमाव जैसी बारीकियों को नजरअंदाज कर दिया जाता था। इससे तटरेखा की वास्तविक लंबाई कम आंकी जाती थी।

हाल ही में सरकार ने तटीय क्षेत्रों की सटीक गणना के लिए हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी, इलेक्ट्रॉनिक नेविगेशन चार्ट्स, LIDAR-GPS मैपिंग, ड्रोन इमेजिंग और जियोइन्फॉर्मेटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। अब तटरेखा को हाई-वॉटर लाइन तक मापा गया, जिससे हर छोटी-बड़ी भौगोलिक विशेषता को शामिल किया जा सका। इस नई पद्धति के तहत गुजरात का समुद्री तट सबसे ज्यादा बढ़ा है, जहां पहले यह 1,214 किलोमीटर था, अब यह 2,340 किलोमीटर हो गया है। पश्चिम बंगाल में तो 357% की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जहां तटरेखा 157 किलोमीटर से बढ़कर 721 किलोमीटर हो गई। तमिलनाडु ने भी आंध्र प्रदेश को पछाड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है।

यह बदलाव केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि भारत की समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक महत्व, और ब्लू इकोनॉमी के लिए भी एक बड़ा अवसर है। अब तटीय राज्यों को समुद्री संसाधनों के प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, बंदरगाह विकास और पर्यटन में नई संभावनाएं मिलेंगी। साथ ही, समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की समुद्री पहचान को और मजबूती मिलेगी।

इस तरह, भारत की कोस्टलाइन में यह “रातोंरात” हुआ विस्तार असल में दशकों बाद आई वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का परिणाम है, जिसने देश की समुद्री ताकत और संभावनाओं को नया आयाम दे दिया है।

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