ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष ने एक नया और खतरनाक मोड़ तब ले लिया, जब ईरान ने इज़राइल की ओर क्लस्टर बम से लैस मिसाइलें दागीं। यह पहली बार है जब इस युद्ध में क्लस्टर बम का प्रयोग हुआ है, जिससे न केवल युद्ध की भयावहता बढ़ी है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर दौड़ गई है।
क्लस्टर बम ऐसे हथियार होते हैं, जो लक्ष्य तक पहुंचने से पहले हवा में फटकर दर्जनों या सैकड़ों छोटे बमों (सबम्यूनिशन) को बड़े क्षेत्र में फैला देते हैं। इनका सबसे बड़ा खतरा यह है कि कई सबम्यूनिशन तुरंत नहीं फटते और लंबे समय तक जमीन में दबे रहकर आम नागरिकों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। यही कारण है कि 100 से अधिक देशों ने क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, हालांकि ईरान और इज़राइल दोनों ने इस संधि को स्वीकार नहीं किया है।
ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों का वॉरहेड ज़मीन से करीब 7 किलोमीटर ऊपर फटा, जिससे लगभग 8 किलोमीटर के दायरे में 20 से अधिक सबम्यूनिशन बिखर गए। इस हमले में इज़राइल के मध्य क्षेत्र में संपत्ति को नुकसान पहुंचा, हालांकि किसी की जान जाने की खबर नहीं आई। इससे पहले ईरानी हमलों में 25 से अधिक लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हो चुके हैं। इज़राइल ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करार दिया है और ईरान के सर्वोच्च नेता को युद्ध अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
Iran's Deadly Cluster Bomb Attack On Israel| Destruction On Cam| Watch Fire Burn Down Buildings#TNDIGITALVIDEOS pic.twitter.com/ZrOGMwO0Yc
— TIMES NOW (@TimesNow) June 20, 2025
इस घटनाक्रम ने पश्चिम एशिया में अस्थिरता और बढ़ा दी है। इज़राइल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं। दोनों देशों के बीच यह युद्ध अब आठवें दिन में प्रवेश कर चुका है और क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। यूरोपीय देशों और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और वार्ता का रास्ता अपनाने की अपील की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कूटनीतिक समाधान सामने नहीं आया है।
क्लस्टर बम के इस्तेमाल से न केवल तत्काल जान-माल का नुकसान होता है, बल्कि भविष्य में भी आम नागरिकों के लिए खतरा बना रहता है, क्योंकि कई सबम्यूनिशन बिना फटे रह जाते हैं और वर्षों तक विस्फोट का खतरा पैदा करते हैं। यह स्थिति पश्चिम एशिया के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे युद्ध का दायरा और मानवीय संकट दोनों बढ़ सकते हैं।