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आतंक का समर्थन, भारत को पीठ में छुरा”: तुर्की विश्वविद्यालय से MoU रद्द करने पर JNU कुलपति

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JNU ने तुर्की विश्वविद्यालय के साथ MoU किया निलंबित:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा कि विश्वविद्यालय ने तुर्किये (तुर्की) के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ समझौता (MoU) निलंबित कर दिया है।
कारण: राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता और तुर्की द्वारा “आतंकवाद का समर्थन” तथा “भारत के साथ विश्वासघात”।

कुलपति का बयान:

“हमारे पास 98 देशों के साथ MoU हैं, लेकिन हमें ऐसे देश से संबंध नहीं रखने चाहिए जो आतंक का समर्थन करता है और भारत के साथ धोखा करता है। JNU पूरी तरह से भारतीय टैक्सपेयर्स के पैसे से चलता है, हमारी निष्ठा भारत और उसकी सेना के प्रति है।”

“हमारे आर्मी और नेवी के चीफ JNU के पूर्व छात्र हैं, हम उन्हें सलाम करते हैं। JNU हमेशा राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ है।”

Operation Sindoor और सरकार की सराहना:

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बोलते हुए, कुलपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “राजनीतिक इच्छाशक्ति” और भारतीय सेना की क्षमता की प्रशंसा की।

“पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने इतनी स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है। हमारे पास तकनीक थी, लेकिन इसे दुनिया के सामने दिखाने का साहस पहली बार दिखा।”

पाकिस्तान और पहलगाम आतंकी हमले पर:

कुलपति ने कहा कि पहलगाम हमला “बर्बर” था और इसमें पाकिस्तान की पूरी संलिप्तता है।
“भारत आतंकवाद का सबसे पुराना शिकार रहा है। ऐसे कृत्य की हर सभ्य देश को निंदा करनी चाहिए।”

तुर्की के खिलाफ भारत में प्रतिक्रिया:

तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद भारतीय व्यापारियों ने तुर्की उत्पादों के बहिष्कार का फैसला किया है।

हिमाचल प्रदेश के किसान संगठनों ने भी तुर्की से सेब के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और अन्य देशों से आने वाले सेब पर सख्त गुणवत्ता मानक और शुल्क लगाने की मांग की है।

JNU द्वारा तुर्की विश्वविद्यालय के साथ MoU निलंबित करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिहाज से एक बड़ा संदेश है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वह ऐसे किसी भी देश से संबंध नहीं रखेगा जो भारत विरोधी गतिविधियों का समर्थन करता है। यह कदम भारतीय समाज में तुर्की के खिलाफ बढ़ते असंतोष और केंद्र सरकार की सख्त नीति का भी संकेत है।

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