विषम सामाजिक परिस्थितियों को रौंदते हुए हमारे राष्ट्र को सामाजिक समरसता
के विचार डॉ अम्बेडकर ने दिए – नन्दलाल जी
के विचार डॉ अम्बेडकर ने दिए – नन्दलाल जी
पाली 14 अप्रेल २०१७ । शुक्रवार को लाखोटिया उद्यान स्थित माली समाज भवन में डाॅ सुरेन्द्रसिहजी की अध्यक्षता में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती समारोह उत्साह व श्रृद्वा के साथ माल्यापर्ण कर मनाया गया।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संयोजक मुकेश पोखरणा ने बताया कि इस अवसर पर डाॅ अम्बेडकर के व्यक्तित्व और विचार पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

नंदलालजी जोशी ने कहा कि भेदभाव की पीड़ा में भी अपने अन्दर की प्रतिभा को प्रखर कर जीवन की सार्थकता को सिद्व करने वाले ऐसे चिन्तक के चिन्तन को सही व सकारात्मक रूप से समझकर आत्मसात करना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है।
सामाजिक भेदभाव पर कटाक्ष करते हुए जोशी ने कहा कि भारत विश्व गुरू था। कालान्तर में हमारी पराजय का कारण खोजे तो हम पायेंगे कि ज्ञान व वैभव के मिथ्या अभिमान की गलती से ही हम हारे। हमारी भारतीय संस्कृति का दृश्टिकोण इतना व्यापक है कि हम सृष्टि के प्रत्येक जीव में परमात्मा का अंश देखते है। हमारी संस्कृति समन्वय व न्याय की संस्कृति है। ऐसी संस्कृति पर चालाक लोगो द्वारा आघात होता है तो मन में पीड़ा होना स्वाभाविक है। हमारे महापुरूषो विवेकानन्द स्वामी, डाॅ हेडगेवारजी, स्वामी शिवानन्द ने सामाजिक समरसता को जो पाठ हमे पढाया, हमे उन्हीं के अनुभवो का अनुकरण करना चाहिए।
डाॅ सुरेन्द्रसिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाॅ अम्बेडकर के व्यक्तित्व में हिन्दुवादी आदर्श था। संविधान निर्माण की जो आधारशीला रखी गयी है वो आज भी विश्व में अहिंसा, प्रेम व त्याग का संदेश देती है। उन्होने समाज के पिछड़े व दलित व समाज की मुख्य धारा में छुटे हुये नागरिको के उत्थान के लिए संविधान के कई उपयोग कर बल देते, संविधान के बारे में विभिन्न जानकारियाॅ दी।
कार्यक्रम के अंत में जिला संघ चालक नेमिचन्द अखावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया और समरसता मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।