Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का शुभारंभ:

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राष्ट्र निर्माण की दिशा में समर्पित साधना का प्रतीक

नागपुर, १२ मई २०२५। भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण में समर्पित संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा नागपुर के रेशीमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर में कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का भव्य शुभारंभ हुआ। यह आयोजन संघ की परंपरा, विचारधारा और समाज के प्रति कर्तव्यों की गहराई से समझ के साथ कार्यकर्ताओं को सशक्त करने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

इस विशेष वर्ग का उद्घाटन महर्षि व्यास सभागार में हुआ, जो संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार की स्मृति से जुड़ा हुआ ऐतिहासिक स्थल है। उद्घाटन अवसर पर मंच पर उपस्थित रहे सह सरकार्यवाह एवं वर्ग के पालक अधिकारी श्री आलोक कुमार, सह सरकार्यवाह श्री रामदत्त चक्रधर, और वर्ग सर्वाधिकारी, पूर्वी उड़ीसा प्रांत के संघचालक श्री समीर कुमार मोहंती। तीनों वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत माता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।

यह वर्ग केवल एक प्रशिक्षण शिविर नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व को मांजने, राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रगाढ़ करने, और संगठनात्मक कार्यों में दक्षता प्राप्त करने का माध्यम है। इस वर्ग में देशभर से चयनित ८४० शिक्षार्थियों ने भाग लिया है, जो संघ के विभिन्न प्रांतों से आए हुए हैं। इन स्वयंसेवकों का चयन विभिन्न आयामों में उनकी सक्रियता, सेवा भाव और संगठन के प्रति समर्पण को ध्यान में रखकर किया गया है।

वर्ग का उद्देश्य और महत्व

कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय संघ की तीन स्तरीय वर्ग प्रणाली में मध्य स्तर का प्रशिक्षण वर्ग है। इसका मुख्य उद्देश्य कार्यकर्ताओं को सैद्धांतिक दृढ़ता, शारीरिक दक्षता, संघ कार्य के व्यवहारिक कौशल तथा समाज जीवन में नेतृत्व क्षमता से संपन्न बनाना है।

इस वर्ग में विविध विषयों पर शारीरिक एवं बौद्धिक सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों के माध्यम से स्वयंसेवकों को न केवल संघ के इतिहास, विचार, संगठनात्मक कार्यपद्धति, अनुशासन और आचार्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है, बल्कि उन्हें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।

प्रमुख बिंदु और प्रशिक्षण की पद्धति

1. शारीरिक प्रशिक्षण: इस वर्ग में शाखा की प्रमुख क्रियाएं जैसे दंड, योग, खेल, समता, व्यायाम योग आदि सिखाए जाते हैं। ये शारीरिक गतिविधियां केवल स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि अनुशासन, समन्वय और नेतृत्व गुण विकसित करने हेतु भी होती हैं।


2. बौद्धिक सत्र: संघ के इतिहास, उद्देश्य, संगठनात्मक संरचना, सामाजिक समस्याएं, भारत की सांस्कृतिक विशेषताएं, और देश की वर्तमान स्थिति पर आधारित सत्र लिए जाते हैं। विशेषज्ञ वक्ता स्वयंसेवकों के विचारों को धार देने में सहयोग करते हैं।


3. आचारशुद्धि और दिनचर्या: वर्ग का प्रत्येक दिन एक अनुशासित और सुव्यवस्थित दिनचर्या के अनुसार चलता है। प्रातः मंगलप्रार्थना से लेकर रात्रि वंदना तक प्रत्येक गतिविधि में स्वयंसेवकों का आंतरिक विकास निहित होता है।


4. समूह भावना और सहयोग: वर्ग में सामूहिक जीवन की अनुभूति कराई जाती है। सभी स्वयंसेवक एक समान वस्त्र धारण करते हैं, एक जैसे भोजन करते हैं, और समूह में कार्य करते हैं जिससे सेवा, विनम्रता और सहयोग की भावना जागृत होती है।



उद्घाटन समारोह की विशेषताएं

उद्घाटन समारोह में सह सरकार्यवाह श्री आलोक कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि “आज का यह वर्ग केवल व्यक्तिगत विकास का नहीं, अपितु समाज जीवन में परिवर्तन लाने वाले कार्यकर्ताओं के निर्माण का अवसर है। जब कोई कार्यकर्ता संघ के कार्य को समझकर समाज में उतरता है, तो वह स्वयं एक प्रेरणा बन जाता है।”

वहीं सह सरकार्यवाह श्री रामदत्त चक्रधर जी ने कहा, “यह वर्ग हमारे लिए साधना का समय है। हमें यहां न केवल संघ को समझना है, बल्कि भारत माता की सेवा के लिए स्वयं को तैयार करना है।”

वर्ग सर्वाधिकारी समीर कुमार मोहंती जी ने वर्ग की कार्य योजना प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह २५ दिवसीय वर्ग विविध प्रशिक्षण सत्रों, संवाद, अभ्यास एवं सामाजिक सहभागिता पर आधारित होगा।

संघ के कार्यकर्ताओं का समर्पण और भविष्य की दिशा

संघ का यह वर्ग इस बात का प्रमाण है कि आज भी देशभर में हजारों युवा संघ की विचारधारा से प्रेरित होकर जीवन को राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर रहे हैं। यह वर्ग उन्हें नई ऊर्जा, दिशा और दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिससे वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।

इन प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को संघ के विविध प्रकल्पों – जैसे शिक्षा, सेवा, ग्रामीण विकास, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण आदि – में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है। वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर शाखाएं चलाते हैं, युवाओं को जोड़ते हैं और भारत को फिर से एक आत्मनिर्भर, संस्कारित और सामर्थ्यशाली राष्ट्र बनाने में योगदान करते हैं।

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