इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आधिकारिक रूप से ₹22,919 करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम की घोषणा की है, जिसे पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई थी। इस योजना का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना और घरेलू व वैश्विक निवेश को आकर्षित करना है।
योजना के प्रमुख पहलू
🔹 वित्तीय प्रावधान:
यह योजना छह वर्षों के लिए ₹22,919 करोड़ के बजट के साथ लाई गई है।
उद्देश्य
- भारत में एक मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट इकोसिस्टम का विकास करना।
- इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में घरेलू मूल्यवर्धन को बढ़ाना।
- भारतीय कंपनियों को वैश्विक वैल्यू चेन में एकीकृत करना।
प्रोत्साहन (Incentives)
- इस योजना के तहत कैपिटल एक्सपेंडिचर और टर्नओवर-आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
- हाइब्रिड मॉडल सहित प्रोत्साहन की सीमा 1% से 10% तक होगी (वर्ष और कंपोनेंट के आधार पर)।
लक्षित क्षेत्र (Target Segments)
- सब-असेंबली जैसे डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल्स।
- बेसिक कंपोनेंट्स जैसे नॉन-SMD पैसिव कंपोनेंट्स, इलेक्ट्रो-मेकैनिकल्स, मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स (PCBs), और लिथियम-आयन सेल्स।
- चयनित बेयर कंपोनेंट्स जैसे हाई-डेंसिटी इंटरकनेक्ट (HDI), मॉडिफाइड सेमी-एडिटिव प्रोसेस (MSAP), फ्लेक्सिबल PCBs और SMD पैसिव कंपोनेंट्स।
अपेक्षित परिणाम (Expected Outcomes)
- ₹59,350 करोड़ का निवेश आकर्षित करना।
- ₹4,56,500 करोड़ मूल्य के उत्पादों का उत्पादन।
- 91,600 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का सृजन।
अवधि
यह योजना कुल 6 वर्षों के लिए चलेगी, जिसमें 1 वर्ष की प्रारंभिक (ग्रेस) अवधि शामिल है।
कार्यान्वयन और दिशानिर्देश
- योजना को आगामी कुछ हफ्तों में लागू किया जाएगा।
- MeitY कंपनियों से आवेदन आमंत्रित करेगा।
- ऑपरेशनल गाइडलाइंस को उद्योग के खिलाड़ियों से परामर्श लेकर अंतिम रूप दिया जाएगा।
महत्व और प्रभाव
- केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में घरेलू मूल्यवर्धन 18% है, जबकि चीन जैसे देशों में यह 38% तक है।
- सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक इस मूल्यवर्धन को दोगुना किया जाए।
राष्ट्रीय निर्माण की दिशा में बड़ा कदम
इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग और फिनिश्ड प्रोडक्ट्स की त्रिमूर्ति को पूर्ण करने के रूप में देखा जा रहा है। यह भारत को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उद्योग विशेषज्ञों ने इस योजना को एक “गेम-चेंजर” बताया है, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा, रोजगार में वृद्धि करेगा, वर्कफोर्स की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा और आर्थिक विकास को गति देगा।