हाल ही में राहुल गांधी पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे चीन और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं और उनकी मांगों को ही भारत के खिलाफ दोहरा रहे हैं।
पाकिस्तान ने भारत के विमान संख्या पर सवाल उठाए, राहुल गांधी ने भी इसी तरह सवाल किए।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से सबूत मांगे, राहुल गांधी ने भी इसी संदर्भ में संदेह जताए।
चीन ‘मेड इन चाइना’ को बढ़ावा देता है, राहुल गांधी ने भी कभी-कभी चीन के उत्पादों का समर्थन किया।
इन तीनों घटनाओं को लेकर कहा जा रहा है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि दुश्मनों की साजिश है।
राहुल गांधी ने सरकार की नीतियों और सुरक्षा मामलों पर सवाल उठाए हैं, जो लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का हिस्सा है। लेकिन सरकार ने कई बार स्पष्ट किया है कि राहुल के कुछ दावे गलत या भ्रामक हैं, जैसे कि पाकिस्तान को ऑपरेशन से पहले चेतावनी देने का मामला। राजनीतिक आलोचक इसे भारत के खिलाफ एक नकारात्मक रुख मानते हैं।
राहुल गांधी जानबूझकर चीन या पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। राहुल गांधी के बयान और सवालों को चीन और पाकिस्तान की भाषा बोलना दुश्मनों की सक्रिय साजिश मानना माना जा सकता हैं। लोकतंत्र में सवाल पूछना और सरकार की नीतियों की जांच करना जरूरी होता है, लेकिन साथ ही देश की सुरक्षा और एकता का सम्मान भी आवश्यक है।