डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में व्हाइट हाउस के एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में दो ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया है, जिनका अतीत अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा रहा है। इस फैसले को लेकर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विवाद और चिंता जताई जा रही है।
प्रमुख नाम
1. इस्माइल रोयर
वर्ष 2000 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कैंप में ट्रेनिंग ली थी और कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर हमलों में भाग लिया था।
2004 में अमेरिका में आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी पाए गए और 13 साल जेल की सजा काटी।
अब ‘रिलिजियस फ्रीडम इंस्टीट्यूट’ में इस्लाम और धार्मिक स्वतंत्रता एक्शन टीम के निदेशक हैं।
2. शेख हम्ज़ा यूसुफ
ज़ैतूना कॉलेज के सह-संस्थापक, जिन पर जिहादी विचारधारा फैलाने और हमास जैसे चरमपंथी संगठनों से संबंध होने के आरोप लगे हैं।
9/11 के बाद FBI द्वारा पूछताछ की गई थी और भारतीय एजेंसी NIA ने भी उन पर आरोप लगाए थे।
भारत के लिए क्या मायने हैं?
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा व्हाइट हाउस एडवाइजरी बोर्ड में ऐसे दो लोगों की नियुक्ति, जिनका अतीत अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है, भारत के लिए कई स्तरों पर चिंता का विषय है। इन दोनों संगठनों ने भारत, खासकर कश्मीर में, बार-बार आतंकी हमलों को अंजाम दिया है।
मुख्य बिंदु
1. भारत की सुरक्षा और कूटनीति पर असर
लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा भारत के लिए सबसे बड़े आतंकी खतरे हैं।
इन संगठनों से जुड़े रहे लोगों को अमेरिका के नीति-निर्माण या सलाहकार बोर्ड में जगह मिलना, भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।
इससे भारत-अमेरिका के आतंकवाद विरोधी सहयोग और खुफिया साझेदारी पर भी असर पड़ सकता है।
2. कश्मीर और आतंकवाद पर भारत का रुख
इस्माइल रोयर जैसे व्यक्ति, जिन्होंने कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर हमलों में हिस्सा लिया, अगर अमेरिकी प्रशासन में सलाहकार बनते हैं, तो यह भारत के लिए असहज स्थिति है।
भारत लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है।
ऐसे में, इन संगठनों के पूर्व सदस्यों को अमेरिकी प्रशासन में जगह मिलना, भारत के कूटनीतिक प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
3. भारतीय एजेंसियों की प्रतिक्रिया
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियां इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
भारत ने पहले भी अमेरिका से ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सहयोग की मांग की है।
4. भारतीय मुस्लिम समाज और छवि
भारत में मुस्लिम समुदाय की छवि को लेकर अक्सर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चाएं होती हैं।
अगर ऐसे लोग अमेरिकी प्रशासन में प्रमुख पदों पर आते हैं, तो इससे भारत के मुस्लिम समाज पर भी अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है।
विवाद और प्रतिक्रियाएँ
ट्रंप के इस फैसले की उनके समर्थकों समेत कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने आलोचना की है।
आलोचकों का कहना है कि ऐसे व्यक्तियों को अमेरिकी नीति और सुरक्षा से जुड़े सलाहकार बोर्ड में शामिल करना न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि इससे गलत संदेश भी जाता है।
इन नियुक्तियों ने अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता, सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने की नीति को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
विवाद बढ़ने के बाद व्हाइट हाउस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है।