राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में शुक्रवार को दशहरा मैदान पर मालवा प्रांत का घोष वादन हुआ। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की मौजूदगी में 28 जिलों के 870 स्वयंसेवकों ने 67 मिनट तक घोष वादन किया। इस कार्यक्रम में शहर के 500 से ज्यादा समाजों के प्रमुख, जनप्रतिनिधि, प्रबुद्धजन और स्वयंसेवक परिवार शामिल हुए।
इस दौरान संघ प्रमुख ने शाखा में होने वाले दंड (डंडा) अभ्यास का जिक्र करते हुए कहा- इसका उद्देश्य झगड़ा करना नहीं। उन्होंने कहा, हम झगड़ा नहीं करते, पर कोई आ जाए तो इलाज करना पड़ता है। लाठी चलाने से मनुष्य वीरता प्राप्त करता है और निर्भीक बनता है। उन्होंने एक किस्सा सुनाया जिसमें एक व्यक्ति ने लाठी के बूते डाकुओं को खदेड़ दिया था।
डॉ. भागवत ने कहा- घोष वादन का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने संघ के 100 वर्षों की यात्रा की रूपरेखा बताते हुए कहा- शाखाओं का उद्देश्य व्यक्तिगत विकास ही नहीं, बल्कि समाज व देश का विकास करना है।
तभी सफल होगी यह तपस्या
भागवत ने कहा, संघ कार्यकर्ताओं की यह तपस्या तब सफल होगी जब आप लोग ऐसा पूछने लगेगे कि संघ की शाखा कहां लगती है। मेरे लायक कोई कार्य तो नहीं। तब वे त्रिगुणित होकर और उत्साह से कार्य करेंगे। मेरा आह्वान है कि आप इस बारे में सोचिए। अच्छे जीवन के साथ हमारे देश का जीवन और अच्छा बने इस दिशा में कैसे कार्य करें। ऐसा हुआ तो सारी दुनिया सुख-शांति से भरा नया युग देखेगी।