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सतर्कता रिपोर्ट से सबरीमाला में और अधिक सोने की चोरी का खुलासा

हाल में आई एक सतर्कता रिपोर्ट ने सबरीमाला मंदिर से जुड़े एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। केरल उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत इस रिपोर्ट में उन अनियमितताओं का जिक्र किया गया है जो गर्भगृह के साइड फ्रेम और द्वारपालक मूर्तियों के संबंध में की गई हैं। यह रिपोर्ट समर्पित विभिन्न प्रकार की हेराफेरी को उजागर करती है, जो मंदिर के पवित्रता को प्रभावित कर सकती है।

सबरीमाला का गर्भगृह और उसके महत्व

सबरीमाला मंदिर का गर्भगृह दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की खासियत इसका स्वर्ण-आवरणित गर्भगृह है, जो मंदिर की आकर्षण और पवित्रता का प्रतीक है। लेकिन हालिया जांच ने दिखाया है कि इस पवित्र स्थल के साथ गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं।

सोने की चोरी का खुलासा

मुख्य सतर्कता एवं सुरक्षा अधिकारी (पुलिस अधीक्षक) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया है कि गर्भगृह के साइड फ्रेम पर सोने की परत चढ़ाने का कार्य सही तरीके से नहीं किया गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि द्वारपालक मूर्तियों में सोने की एक बड़ी मात्रा, लगभग 474.9 ग्राम, दानकर्ता उन्नीकृष्णन पोट्टी को दी गई थी। अचंभित करने वाली बात यह है कि अभिलेखों से पता नहीं चलता कि यह सोना कभी त्रावणकोर को वापस लौटाया गया था।

नियमों की अनदेखी

सबरीमाला के देवास्वोम बोर्ड ने यह भी सूचित किया है कि सोने से मढ़ी हुई वस्तुओं को “तांबे की प्लेटों” के रूप में गलत तरीके से सौंपना एक गंभीर अपराध है। इसके तहत भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अनुसार सजा का प्रावधान है। अगस्त 2019 में द्वार के 14 टुकड़े खोजे गए, जिन पर सोने से मढ़ाई गई तांबे की प्लेटों के नमूने पाए गए।

पोट्टी का दावा और कार्यवाही

इस मामले में पोट्टी ने अपलक मूर्तियों को चेन्नई स्थित स्मार्ट क्रिएशंस को सौंपा था। हालाँकि स्मार्ट क्रिएशंस का कहना था कि उनके पास ऐसी वस्तुओं को फिर से चढ़ाने की तकनीकी जानकारी नहीं है, लेकिन पोट्टी ने जोर देकर कहा कि यह कार्य अवश्य किया जाए। उनका दावा है कि पहले निकाले गए सोने के साथ-साथ द्वारपालकों से बचे हुए सोने का भी उपयोग किया जाना चाहिए।

सरकारी कार्रवाई

4 सितंबर, 2019 को सोने की परत चढ़ाई तांबे की प्लेटों की चौदह वस्तुएँ 394.9 ग्राम के सोने के प्रमाण पत्र के साथ पोट्टी को सौंप दी गईं। इस प्रकार की कार्यवाहियों में पारदर्शिता की कमी के चलते, उच्च न्यायालय ने इस मामले में और अधिक गहन जांच का आदेश दिया है।

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इस खुलासे ने केवल एक धार्मिक स्थल की सुरक्षा और पवित्रता पर सवाल उठाया है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि कैसे कुछ लोग अपनी स्वार्थी इच्छाओं के लिए धार्मिक श्रद्धा का दुरुपयोग कर सकते हैं। सबरीमाला मंदिर जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर इस प्रकार की हेराफेरी को रोकना आवश्यक है। यह हमें सतर्क रहने की आवश्यकता को दर्शाता है, ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताएँ न हो सकें। अब यह न्याय की प्रक्रिया में शामिल सभी संबंधित पक्षों की जिम्मेदारी है कि वे इस कदाचार का उचित समाधान निकालें और सबरीमाला के पवित्र गर्भगृह की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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