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“न हिन्दू: पतितो भवेत….” – समरसता का अनुपम उदाहरण

डीडवाना जिले के दीपपुरा गांव में सामाजिक समरसता का एक अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। यहाँ एक जाट परिवार ने मेघवाल परिवार की बेटी को अपनी बेटी मानकर उसकी बिंदौली घोड़ी पर निकाली और पूरे परिवार के साथ सहभोज का आयोजन किया।

यह घटना हिंदू समाज में सामाजिक सद्भाव, समानता, एकता और समरसता के सिद्धांत को और अधिक सशक्त करती है। यह प्रेरणादायक पहल दर्शाती है कि हिन्दू समाज में छुआछूत का भाव मूल में कही नहीं है, यह केवल काल, परिस्थितियों की देन है और हम सब मिलकर प्रयास करे तो इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंक सकते है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में हमें जिन पंच परिवर्तन हेतु कार्य करना है उसमें सामाजिक समरसता प्रमुख है।

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