Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

TRANDING
TRANDING
TRANDING

S-400: दुश्मन की मिसाइलों का अंत, हवा में फूंका सबकुछ
परिचय: एस-400 – भारत का हवाई सुरक्षा कवच

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email


हाल के दिनों में हवाई हमलों की आशंकाओं के मद्देनज़र, एक मजबूत वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता बढ़ गई है। पाकिस्तान द्वारा भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश, जिसे भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया, इस खतरे को उजागर करती है । यह सफलता रूस में बने ‘एस-400 सुदर्शन चक्र’ नामक वायु रक्षा प्रणाली के कारण संभव हो पाई, जो 400 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकता है । इस घटनाक्रम से पहले, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जवाबी कार्रवाई की थी, जिसके बाद पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया हुई । इन परिस्थितियों में, एस-400 की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
भारत के लिए यह सिस्टम अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से होने वाले संभावित हवाई हमलों से देश को सुरक्षित कर सकता है । यह भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत करेगा और देश की सीमाओं की रक्षा में एक महत्वपूर्ण परत प्रदान करेगा । वर्तमान में, इस प्रणाली को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात किया गया है, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के पास । एस-400 को ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है, जो इसकी दुश्मन पर तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता को दर्शाता है । यह नाम इस प्रणाली को एक भारतीय पहचान देने का प्रयास है और इसकी सटीकता और अजेयता को व्यक्त करता है । जिस प्रकार सुदर्शन चक्र न्याय का प्रतीक था, उसी प्रकार एस-400 को देश की रक्षा के लिए एक अभेद्य ढाल माना जाता है । भारत की जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए, एस-400 जैसी प्रणाली राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक लाभ बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
एस-400 तकनीक क्या है?
एस-400 ‘ट्रायम्फ’ रूस में निर्मित एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है । इसका विकास रूस की अल्माज़-एंटे कंपनी द्वारा किया गया है । यह प्रणाली एस-300 मिसाइल प्रणाली का एक उन्नत संस्करण है । एस-400 वर्ष 2007 से रूसी सशस्त्र सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है । इसे दुनिया की सबसे उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में से एक माना जाता है ।
इस प्रणाली के मुख्य घटकों में रडार, कमांड और कंट्रोल सिस्टम, लॉन्चर और मिसाइलें शामिल हैं । इसमें एक एकीकृत मल्टीफंक्शन रडार सिस्टम है जो स्वायत्त रूप से आने वाली वस्तुओं का पता लगाने और उन्हें लक्षित करने में सक्षम है । इस प्रणाली में एंटी-एयर मिसाइल लॉन्चर और कमांड और कंट्रोल मिसाइलें भी शामिल हैं । प्रत्येक एस-400 स्क्वाड्रन में 16 वाहन होते हैं, जिनमें लॉन्चर, रडार, कंट्रोल सेंटर और सहायक वाहन शामिल हैं । एक बैटरी में आमतौर पर 6 लॉन्चर, एक रडार और एक कंट्रोल सेंटर होता है, जिसमें कुल 128 मिसाइलें होती हैं । एस-400 की मॉड्यूलर संरचना तैनाती और संचालन में लचीलापन प्रदान करती है। कई लॉन्चरों और एक परिष्कृत कमांड और कंट्रोल सिस्टम की उपस्थिति इसकी उत्तरजीविता और प्रभावशीलता को बढ़ाती है ।
भारतीय वायुसेना ने इस प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र’ का नाम दिया है, जो भगवान श्रीकृष्ण के शक्तिशाली चक्र से प्रेरित है । यह नाम इसकी अत्यंत शक्ति और दुश्मन को कोई मौका न देने की क्षमता को दर्शाता है । ‘सुदर्शन चक्र’ सटीकता और अजेयता का प्रतीक है । इसे देश की रक्षा के लिए एक अभेद्य ढाल माना जाता है । एस-400 को यह प्रतीकात्मक नाम देना राष्ट्रीय पहचान और गौरव का एक शक्तिशाली माध्यम है ।
दुश्मन की मिसाइलों का अंत: एस-400 कैसे काम करता है
एस-400 प्रणाली दुश्मन के हवाई खतरों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए कई चरणों में काम करती है। सबसे पहले, खतरे की पहचान और ट्रैकिंग की जाती है, जिसमें रडार प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एस-400 सबसे उन्नत रडारों में से एक के साथ आता है, जो स्वायत्त रूप से आने वाली वस्तुओं का पता लगाने और उन्हें लक्षित करने में सक्षम है । इसका रडार 600 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भी देख सकता है । यह एक साथ 100 आने वाली वस्तुओं का पता लगा सकता है । उन्नत रडार और डिटेक्शन सिस्टम बहुत तेजी से लक्ष्यों की पहचान और ट्रैकिंग कर सकते हैं । एस-400 की रडार प्रणाली रक्षा की महत्वपूर्ण पहली पंक्ति है, जो महत्वपूर्ण दूरी पर विभिन्न खतरों का पता लगाने और एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है ।
एक बार जब लक्ष्य का पता चल जाता है, तो कमांड पोस्ट पर बैठे ऑपरेटर यह तय करते हैं कि कौन सा टारगेट कितना खतरनाक है । यह सिस्टम एक समय में 80 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है । यह एक साथ 36 लक्ष्यों पर हमला कर सकता है । एस-400 की एक साथ कई लक्ष्यों को प्राथमिकता देने और उन पर हमला करने की क्षमता संतृप्त हमलों और जटिल हवाई परिदृश्यों को संभालने की क्षमता को दर्शाती है ।
जब कमांड से मिसाइल दागने का आदेश दिया जाता है , तो मिसाइल टारगेट की तरफ तेजी से बढ़ती है । मिसाइल हवा में ही टारगेट को टक्कर मारकर या उसके पास फटकर नष्ट कर देती है । एस-400 की मिसाइलें 400 किलोमीटर की दूरी तक हमला कर सकती हैं । एस-400 एक त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र का उपयोग करता है, खतरे की पहचान और प्राथमिकता के बाद तेजी से मिसाइलें लॉन्च करता है ।
हवा में लक्ष्य को भेदने की प्रक्रिया में, एस-400 दुश्मन देश की तरफ से आने वाले रॉकेट, मिसाइल या ड्रोन का पता लगाता है । पता लगने के बाद, यह सिस्टम उस हथियार को लॉक करता है, यानी उसकी गति को ट्रैक करता है । फिर, यह मिसाइल का उपयोग करके उसे हवा में ही मार गिराता है । यह एक लंबी दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला सिस्टम है ।
एस-400 की तकनीकी क्षमताएं और विशेषताएं
एस-400 अपनी मारक क्षमता और विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के कारण एक शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली है। यह 400 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकता है । यह विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है, जैसे कि 40N6, 48N6, 9M96E2 और 9M96E, जिनकी अलग-अलग रेंज और ऊंचाई क्षमताएं हैं ।
|
एस-400 एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक और भेदने की क्षमता रखता है। यह एक समय में 80 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है । यह एक समय में 36 पर एकसाथ निशाना साध सकता है । कुछ स्रोतों के अनुसार, यह 72 से 160 मिसाइलों को एक साथ निर्देशित कर सकता है ।
यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है, जिसमें हवाई जहाज, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं । यह स्टील्थ विमानों को भी निशाना बना सकता है । यह बैलिस्टिक मिसाइलों को 60 किमी की त्रिज्या में इंटरसेप्ट करने में सक्षम है ।
एस-400 गतिशील है, जिसका अर्थ है कि इसे कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है । वायुसेना इन मिसाइलों को ट्रक पर लगाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती है । इसकी तैनाती में 5-10 मिनट का समय लगता है । इसे 8×8 के ट्रक पर आसानी से माउंट किया जा सकता है, जिससे इसे कहीं भी ले जाना आसान है ।
एस-400 में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रतिरोधक क्षमता भी है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित चरणबद्ध सरणी रडार फिट किया गया है, जो इसे जाम होने से प्रतिरक्षित बनाता है । उन्नत रडार सिस्टम में फ्रीक्वेंसी-हॉपिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है । यह जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के प्रति अत्यधिक लचीला है ।
भारत के लिए एस-400 का सामरिक महत्व
एस-400 भारत के लिए सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हवाई सुरक्षा को मजबूत करता है और क्षेत्रीय प्रभुत्व में योगदान देता है। एस-400 की तैनाती से भारत की हवाई रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है । दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने में कठिनाई होगी । यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करता है ।
यह चीन और पाकिस्तान से संभावित हवाई हमलों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । यह पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 को तबाह करने में सक्षम है । यह चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर का मुकाबला कर सकता है ।
एस-400 अन्य वायु रक्षा प्रणालियों के साथ भी एकीकृत हो सकता है। यह वैकल्पिक रक्षा प्रणालियों जैसे एस-300, एसए-23 आदि के साथ डेटा साझा कर सकता है । यह भारतीय वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) के साथ एकीकृत है । भारत को अपने छोटे से लेकर बड़े एयर डिफेंस सिस्टम को आपस में जोड़कर रखना होगा ताकि वे बेहतर तरीके और सामंजस्य के साथ काम कर सकें ।
निष्कर्ष: एस-400 – भारत की वायु शक्ति का स्तंभ
एस-400 भारत की वायु शक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। यह प्रणाली भारत को भविष्य के हवाई खतरों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ‘सुदर्शन चक्र’ भारत की रक्षा क्षमताओं का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो देश को सुरक्षित रखने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत ने एक्टिवेट किया S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, जानें क्यों है ये पाकिस्तान  का काल - India TV Hindi
Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top