दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों ने छात्र राजनीति में एक नया अध्याय रच दिया है। इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने बहुमत हासिल करते हुए अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव जैसे तीन प्रमुख पदों पर कब्ज़ा जमाया। इस जीत ने न केवल संगठन की मजबूती को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि देश की नई पीढ़ी, विशेषकर Gen-Z, अब छात्र राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
ऐतिहासिक जीत और छात्र राजनीति का बदलता चेहरा DUSU चुनावों को हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का आईना माना जाता रहा है। ABVP की इस बार की जीत को ऐतिहासिक इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि संगठन ने कठिन मुकाबले के बीच छात्र समुदाय का भरोसा जीता।अध्यक्ष पद पर आर्यन मान,सचिव पद पर कुणाल चौधरी,संयुक्त सचिव पद पर दीपिका झा की जीत ने संगठन की पकड़ को मजबूत बना दिया।विशेष रूप से महिला उम्मीदवार दीपिका झा की जीत यह संकेत देती है कि छात्र राजनीति में अब महिला भागीदारी को और अधिक महत्व मिल रहा है। यह बदलाव आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय परिसर की राजनीति का स्वरूप भी बदल सकता है।जीत के पीछे Gen-Z की अहम भूमिका चुनाव 2025 की असली कहानी Gen-Z मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमती है। पहली बार वोट डालने वाले और डिजिटल माध्यमों से सक्रिय यह पीढ़ी चुनाव परिणामों में निर्णायक साबित हुई।
1. डिजिटल सक्रियता : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ABVP ने मजबूत अभियान चलाया। शॉर्ट वीडियो, मीम्स और लाइव सेशन्स के जरिए छात्रों तक सीधा संवाद कायम किया गया।
2. वैचारिक स्पष्टता : Gen-Z ने केवल नारों पर भरोसा नहीं किया, बल्कि काम के ठोस एजेंडे की मांग की। ABVP ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, बेहतर कैंपस सुविधाओं और सुरक्षा जैसे मुद्दों को प्रभावी ढंग से पेश किया।
3. समानता और सुरक्षा : महिला सुरक्षा और लैंगिक समानता जैसे मुद्दे छात्रों के केंद्र में रहे। ABVP ने इन्हें अपने मुख्य चुनावी एजेंडे में शामिल कर Gen-Z की संवेदनशीलता को साधा।
4. सक्रिय भागीदारी : Gen-Z सिर्फ वोट तक सीमित नहीं रही। पोस्टर डिजाइनिंग, डिजिटल प्रचार और चुनावी बहसों में उनकी सीधी भागीदारी देखने को मिली।स्पष्ट है कि छात्र राजनीति का परिदृश्य अब पारंपरिक ढर्रे से निकलकर डिजिटल और विचारधारात्मक विमर्श की ओर बढ़ रहा है।
ABVP का 100 दिन का रोडमैप चुनाव परिणामों के तुरंत
बाद नए निर्वाचित नेताओं ने 100 दिन का रोडमैप प्रस्तुत किया, जिसमें छात्रों की प्राथमिक समस्याओं को हल करने का वादा किया गया है।कैंपस इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार : लाइब्रेरी का आधुनिकीकरण, 24×7 स्टडी स्पेस और हॉस्टल की संख्या बढ़ाने की घोषणा।
महिला सुरक्षा : सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गश्त और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना।
डिजिटल सशक्तिकरण : छात्र सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन करना और नोटिस बोर्ड को डिजिटल रूप देना।
सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ : अधिक कार्यक्रम आयोजित कर छात्रों को नेतृत्व और व्यक्तित्व विकास के अवसर प्रदान करना।
समावेशी राजनीति : विभिन्न पृष्ठभूमि और विचारधाराओं से आने वाले छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा देना।राष्ट्रीय राजनीति के संकेत दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव हमेशा से देश की राजनीति का सूक्ष्म स्वरूप माना जाता है। इस बार ABVP की जीत राष्ट्रीय स्तर पर भी संकेत देती है कि युवाओं का झुकाव वैचारिक स्पष्टता और ठोस कार्ययोजना की ओर है। यह परिणाम विपक्षी छात्र संगठनों के लिए आत्ममंथन का अवसर है, क्योंकि Gen-Z का समर्थन पाने में वे पिछड़ गए।दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 2025 में ABVP की ऐतिहासिक जीत यह साबित करती है कि छात्र राजनीति में अब नई पीढ़ी यानी Gen-Z निर्णायक भूमिका निभा रही है। डिजिटल युग में पली-बढ़ी यह पीढ़ी न केवल मुद्दों पर सजग है, बल्कि ठोस नेतृत्व और कार्ययोजना चाहती है। ABVP के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती इन वादों को धरातल पर उतारने की होगी। यदि संगठन अपने रोडमैप पर सफलतापूर्वक काम करता है, तो यह जीत सिर्फ चुनावी उपलब्धि नहीं बल्कि छात्र राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय साबित होगी।
