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क्या बोइंग विमानों की लागत में कमी का दबाव और उत्पादन में तेजी ही हादसों की जड़ है?

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आज 12 जून, 2025 को अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रही एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI171 टेकऑफ करते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें यात्रा कर रहे विदेशी नागरिकों सहित कई भारतीयों ने अपना जीवन खो दिया।

इस दुर्घटना ने एक बार फिर बोइंग की सुरक्षा चिंताओं को सुर्खियों में ला दिया है।
विशेषज्ञों द्वारा उजागर की गई कई रिपोर्टों से यह महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा होता है कि क्या लागत में कमी और उत्पादन में तेजी बोइंग विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण बन रही है?

2018 और 2019 में पांच महीने के अंदर इंडोनेशिया और इथोपिया में बोइंग कंपनी के 737 मैक्स विमान क्रैश हो गए थे। इन हादसों में 346 लोगों की जानें गई थीं। इसके बाद कई तरह की जांच का सिलसिला शुरू हुआ। जांच में विमान में कई तरह की गड़बड़ी सामने आई।

ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी न्‍याय विभाग (DoJ) ने पाया कि बोइंग ने 2018-2019 में हुए 2 क्रैश के बाद कंपनी को सुधारने के लिए की गई डील का उल्लंघन किया है।बोइंग ने इसे लेकर 243.6 मिलियन डॉलर यानी 4 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना भरने पर सहमति जताई है। इसके अलावा कंपनी अगले 3 साल तक विमानों की सेफ्टी पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी।लेकिन दुर्घटनाओं पर लगाम लगती दिख नहीं रही है।कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यात्री सुरक्षा कारणों से बोइंग के सफर को इग्नोर भी कर रहे है

कई विशेषज्ञ और रिपोर्टें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि बोइंग में “लागत में कमी” की संस्कृति ने कंपनी की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और सुरक्षा मानकों को प्रभावित किया है।


कहा जा रहा है कि मैकडॉनेल डगलस के साथ बोइंग के विलय के बाद बोइंग में लागत-कमी पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे इंजीनियरिंग मानकों में कमी आई। इसके साथ साथ लागत कम करने के प्रयास में, बोइंग ने अपने उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा आपूर्तिकर्ताओं को आउटसोर्स कर दिया। इससे गुणवत्ता नियंत्रण और एकीकरण में समस्याएँ पैदा हुईं, जिससे 787 ड्रीमलाइनर और 737 मैक्स जैसी परियोजनाओं में देरी और तकनीकी समस्याएं हुईं।
वैश्विक स्तर पर विमानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विमान उत्पादन को बढ़ाने के दबाव ने गुणवत्ता नियंत्रण पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।कई वर्तमान और पूर्व बोइंग कर्मचारियों ने “व्हिसल ब्लोअर” के रूप में सामने आकर आरोप लगाया है कि कंपनी सुरक्षा से समझौता कर रही है और खर्चों में कटौती भी कर रही है।
इंजीनियरिंग और वित्तीय फोकस के बीच तालमेल नहीं होना सुरक्षा संस्कृति के क्षरण का एक कारण माना जाता है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विमान दुर्घटनाएँ अक्सर कई कारकों का परिणाम होती हैं। तकनीकी खराबी, रखरखाव की कमी, मानवीय त्रुटि, और बाहरी पर्यावरणीय कारक भी दुर्घटनाओं में योगदान कर सकते हैं।

अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान का दुखद दुर्घटनाग्रस्त होना एक बार फिर विमानन सुरक्षा पर गहन चर्चा का विषय बन गया है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 242 लोगों के साथ विमान ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी थी और टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद मेघानी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि विमान ने “मेडे” कॉल की, जिससे संभावित तकनीकी खराबी की ओर इशारा मिलता है।
यह दुर्घटना ऐसे समय में हुई है जब बोइंग कंपनी पहले से ही अपनी सुरक्षा प्रथाओं और उत्पादन गुणवत्ता को लेकर गहन जांच के दायरे में है। पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से 737 मैक्स की दो घातक दुर्घटनाओं के बाद, बोइंग पर लगातार यह आरोप लगते रहे हैं कि लागत में कमी और उत्पादन में तेजी लाने के दबाव ने कंपनी की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और सुरक्षा संस्कृति को कमजोर किया है।

बोइंग, जो कभी इंजीनियरिंग नवाचार और सुरक्षा का प्रतीक थी, अब आलोचकों का मानना है कि उसने वित्तीय लाभ को सुरक्षा से ऊपर रखा है। मैकडॉनेल डगलस के साथ विलय के बाद, कंपनी पर शेयरधारकों के लिए अधिक मुनाफा कमाने का दबाव बढ़ा। इस दबाव के चलते, कंपनी ने उत्पादन लागत कम करने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें आपूर्तिकर्ताओं पर अधिक निर्भरता और कुछ मामलों में, कथित तौर पर गुणवत्ता नियंत्रण में कुछ कॉम्प्रोमाइज शामिल है।
कई उद्योग विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि कैसे लागत में कमी के प्रयासों ने बोइंग की उत्पादन प्रक्रियाओं में खामियां पैदा की हैं। विमान के पुर्जों के निर्माण और एकीकरण में कमी, और कर्मचारियों द्वारा उठाई गई सुरक्षा चिंताओं को नजरअंदाज करने के आरोप भी लगे हैं।
अहमदाबाद में हुए हादसे की पूरी जांच होनी बाकी है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि डीजीसीए, बोइंग और एयर इंडिया की जांच क्या सामने लाती है। क्या यह एक तकनीकी खराबी थी? क्या रखरखाव में कोई चूक हुई? या क्या व्यापक गुणवत्ता नियंत्रण संबंधी समस्या भी इस दुर्घटना का एक कारण है?
जो भी कारण हो, यह दुर्घटना एक मार्मिक अनुस्मारक है कि विमानन सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। कंपनियों को लागत-कमी के नाम पर सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए, और नियामकों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी निगरानी मजबूत करनी चाहिए कि उत्पादन की गति के कारण गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। अहमदाबाद की दुखद घटना न केवल बोइंग के लिए, बल्कि पूरे विमानन उद्योग के लिए सुरक्षा मानकों को लेकर एक वेक अप कॉल है कि हम सुरक्षा को हर चीज से ऊपर रखें, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके।
दुर्घटना में घायल यात्रियों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना

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