गुरुवार, 23 अक्टूबर, 2025 को, असम मंत्रिमंडल ने 126 सदस्यीय राज्य विधानसभा के नवंबर सत्र में 1983 के नेल्ली नरसंहार पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्णय लिया है। यह कदम असम में राजनीति और समाज पर लंबे समय से छिड़े विवाद का महत्वपूर्ण अंश है। इसमें न केवल चुनावी राजनीति की जटिलताएँ हैं, बल्कि असम में लोगों के जीवन और उनकी सुरक्षा भी शामिल है।

नेल्ली नरसंहार: ऐतिहासिक दृष्टि1983 का नेल्ली नरसंहार असम के इतिहास में एक काला अध्याय है। यह घटना 18 मई 1983 को हुई, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए और कई लोग बेघर हो गए। यह नरसंहार उस समय की सामाजिक और राजनीतिक तनावों का परिणाम था, जिसमें भारतीय आम चुनाव के विरोध, प्रवासियों का मुद्दा और असम में स्थानीय पहचान की सुरक्षा की मांगें शामिल थीं।
AASU का बहिष्कारअसम के छात्र संघ (AASU) ने 1983 में होने वाले आम चुनाव का बहिष्कार किया। उनका यह मानना था कि 1966 के बाद आए प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर किया जाए। असम में स्थानीय पहचान की सुरक्षा के लिए AASU का यह कदम महत्वपूर्ण था, क्योंकि उनका मानना था कि प्रवासियों के आने से असम की सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति में बदलाव आ रहा है।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का फैसलाइस घटना की पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चुनावों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। पुलिस ने संभावित हिंसा के बारे में चेतावनियाँ दी थीं, फिर भी चुनाव प्रक्रिया को जारी रखा गया। इसके लिए लगभग 40 लाख बंगाली मूल के मतदाताओं को अस्थायी मतदान का अधिकार दिया गया, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे। यह निर्णय तत्कालीन राजनीति के जटिल परिदृश्य को दर्शाता है, जिसमें वोटों की राजनीति ने मानवीय मूल्यों को पीछे छोड़ दिया।
राज्य मंत्रिमंडल का निर्णयअब, असम मंत्रिमंडल ने इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का फैसला किया है। यह रिपोर्ट नरसंहार के तथ्यों, उसके कारणों, और उससे जुड़े सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों की जानकारी प्रदान करेगी। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे एक चुनावी प्रक्रिया ने असम में हिंसा और संघर्ष को जन्म दिया।
रिपोर्ट के उद्देश्यइस रिपोर्ट का उद्देश्य न केवल ऐतिहासिक घटनाओं की पुनरावृत्ति करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि भविष्य में किसी प्रकार की वारदातों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ। यह असम के युवाओं के लिए एक संदेश भी है कि वे अपने अधिकारों और पहचान की रक्षा के लिए सजग रहें।
1983 का नेल्ली नरसंहार एक दु:खद घटना है, जिसने न केवल असम बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। असम मंत्रिमंडल का यह निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जिससे हमें पूर्व की घटनाओं को समझने और भविष्य में सुधार की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।इस रिपोर्ट के माध्यम से हम न केवल इतिहास से सीख सकते हैं, बल्कि यह भी समझ सकते हैं कि राजनीतिक निर्णय कैसे समाज को प्रभावित करते हैं। युवा पीढ़ी को इस घटना को याद रखना और समझना चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत रह सकें और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर सकें।