सोशल मीडिया पर मातम पसरा है। वही लोग जिनकी सोच आज भी मुग़लों की गुलामी में जकड़ी हुई है, आज NCERT की नई किताबों को देखकर आंसू बहा रहे हैं। क्यों? क्योंकि अब “अकबर महान” जैसे भ्रामक शीर्षक नहीं मिलेंगे, अब मिलेगा इतिहास का असली आईना — जिसमें बाबर, औरंगज़ेब और अकबर जैसे आक्रमणकारी अपनी असलियत में नज़र आएंगे: क्रूर और संहारक।
NCERT में क्या बदला?
NCERT ने हाल ही में कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई किताब “Exploring Society: India and Beyond” जारी की है, जिसमें मुग़ल शासकों का वर्णन पहले से अधिक स्पष्ट और “डार्क साइड” के साथ किया गया है।
प्रमुख बदलाव
- बाबर को अब “रूढ़िवादी दृश्टिकोण से अत्याचारी और निर्दयी विजेता” बताया गया है, और नरसंहार के बाद “खोपड़ी की मीनार” का निर्माण भी शामिल किया गया है
- अकबर को “ क्रूर ” बताया गया है; विशेषकर चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के दौरान 30,000 नरसंहार का ज़िक्र है
- औरंगज़ेब का वर्णन मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों को नष्ट करने और ‘जज़िया’ पुनः लागू करने वाले शासक के रूप में किया गया है
इतिहास से मज़ाक कब तक!
इतिहास के नाम पर सदियों तक भारत की पीढ़ियों को एक चमकदार भ्रम में रखा गया। अकबर को “महान” कहा गया, औरंगज़ेब को “धर्मनिष्ठ” बताया गया, बाबर को “सभ्यता लाने वाला” कहा गया। लेकिन क्या कभी इन किताबों में ये पढ़ाया गया:
- कुतुबुद्दीन ऐबक, अलाउद्दीन खिलजी, तैमूर, बाबर, अकबर, औरंगजेब, नादिर शाह, हुमायूं आदि ने जब भी विजय हासिल की उसके बाद आम हिंदुओं को मारा और उनके नरमुंडों से मीनारें बनवाईं?
- अकबर बहुत ही चरित्रहीन व्यक्ति था। उसे भारतीय राजाओं की परम्परा में राजा के आवश्यक गुणों की कसौटी पर यदि कसकर देखा जाए तो उसमें राजा का एक भी गुण नहीं था। हिन्दू महिलाओं के साथ उसने जिस प्रकार के अत्याचार किए और उन्हें अपने हरम में भर-भरकर जिस प्रकार उन्हें केवल खेती समझा, उससे उसके चरित्र का वह पक्ष प्रकट होता है
- औरंगज़ेब जिसकी कपोल कल्पित संताने आज भी यहां वहां भारत देश में फैली है उसने हज़ारों मंदिर तोड़े, गुरुओं की हत्याएं कीं, जज़िया कर लगाया?
अब NCERT ने जो किया है, वो किसी एजेंडा का हिस्सा नहीं है — वो एक ऐतिहासिक अन्याय का अंत है।
ये बदलाव क्यों ज़रूरी थे?
- क्योंकि बच्चों को भ्रमित करना बंद होना चाहिए।
- क्योंकि देशभक्त वीरों को दबाकर लुटेरों को ‘महान’ बताना देशद्रोह से कम नहीं।
- क्योंकि अगर इतिहास को सच नहीं दिखाया गया, तो आने वाली पीढ़ियाँ झूठ की पूजा करेंगी।
“मुग़ल-प्रेमी गैंग” का रोना और नकली इमोशन्स
कुछ मुग़ल प्रेमियों का दावा है कि “इतिहास से सांस्कृतिक विरासत मिटाई जा रही है।”
सवाल यह है: क्या खून, नरसंहार, मंदिर विध्वंस और बलात्कार ही आपकी विरासत है? इन नकली सेक्युलरों की तिलमिलाहट बताती है कि बात सीधी नस पर पड़ी है। “इतिहास को एकतरफा बना दिया गया है…”
भाई, अब तक जो पढ़ा रहे थे वो कौन-सा ‘पंचशील’ था? तब तुम्हारा सेक्युलरिज्म सो रहा था क्या?
“क्रूरता” कोई विमर्श नहीं, यह दस्तावेज़ित हकीकत है
बाबर की आत्मकथा “तुज़ुक-ए-बाबरी” खुद बताती है कि उसने किस तरह मंदिर तोड़े और हिन्दुओं को नीचा समझा। अकबर के अबुल फज़ल जैसे दरबारी भी चित्तौड़ नरसंहार का ज़िक्र करते हैं। औरंगज़ेब के खुद के फरमान आज भी संग्रहालयों में रखे हैं, जिनमें मंदिर तोड़ने के आदेश हैं।
इतिहास को “पॉलिश” करने की जो बीमारी नेहरूvian युग में शुरू हुई थी, अब उसका इलाज शुरू हुआ है।
NCERT ने जो किया, वो शिक्षा ही नहीं, अपितु शुद्धिकरण भी है।
ये बदलाव देश को आत्मगौरव सिखाएंगे। अब बच्चे विषाक्त एजेंडा में लिप्त ख़ुशबूदार झूठ नहीं, कटु सत्य पढ़ेंगे। ये बदलाव भविष्य की जड़ों में सच्चाई का बीज बो रहे हैं।
और हाँ, ये ‘hate’ नहीं है , ये history है।
यदि आपको इतिहास के सच को पढ़ते हुए तकलीफ़ हो रही है तो संभवतः आप उसअपराधी के वंशज नहीं, मानसिक ग़ुलाम ज़रूर हैं। अब समय आ गया है कि हम इतिहास को आरती नहीं, आईना समझें। और इस आईने में अगर किसी को अपने ‘अब्बाजान’ की असलियत दिखाई दे रही है, तो चिल्लाने की बजाय शर्मिंदा होना ज़्यादा उचित होगा।
जय भारत।
जय सत्य।
क्या आप इस बदलाव के पक्ष में हैं? शेयर कीजिए, ताकि अगली पीढ़ी गुलामी नहीं, गरिमा पढ़े।
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