
अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर सूट से युक्त एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट अर्नाला स्वदेशी तौर पर निर्मित सोलह पोतों में पहला है
18 जून 2025 को विशाखापट्टनम में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल अनिल चौहान ने INS Arnala को भारतीय नौसेना में शामिल किया। यह भारत का पहला Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) है, जिसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है। मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत को नए आयाम देते हुए इस युद्धपोत ने सैन्य शक्ति के विश्व पटल पर भारत का सिंह स्थान अंकित किया है । जिस तरह कभी अर्नाळा का किला अरब सागर की निगरानी करता था, आज उसी नाम का यह युद्धपोत हिंद महासागर की गहराइयों में छिपे खतरों पर नज़र रखेगा।
आईएनएस अर्नाला की विशेषताएं :
देसी रॉक्स! पूरी तरह स्वदेशी निर्माण! INS Arnala, जिसे ‘सबसे शांत युद्धपोत’ (Most Silent Ship) कहा जा रहा है, का डिज़ाइन Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE) ने तैयार किया है। इस उत्कृष्ट कार्य के लिए GRSE को 2022 में रक्षा मंत्री पुरस्कार (Raksha Mantri’s Award) से भी सम्मानित किया गया।।
- 1490 टन से अधिक भार वाला 77 मीटर लंबा यह युद्धपोत, डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन द्वारा संचालित नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है।
- हेलिकॉप्टर के ऑपरेशन के लिए हेलीपैड से युक्त।
- टॉरपीडो, रॉकेट लॉन्चर, आधुनिक सोनार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से सुसज्जित।
- तटीय क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों को ट्रैक और नष्ट करने में माहिर।

यह युद्धपोत भारत के बढ़ते शौर्य में एक नया मैडल है। पिछले कुछ समय से न केवल भारत अपितु समस्त विश्व में जैसे हालत चल रहे हैं उससे एक बात तो तय है की किसी भी राष्ट्र की सम्प्रभुता व राष्ट्र्जनों की सुरक्षा निश्चित करने हेतु मज़बूत सैन्य व्यवस्था का होना निर्विवाद है । हमने अपने वृहद अतीत से व अपने शौर्यमान पूर्वजों से वीरता की विरासत मिली है। छत्रपति शिवजी राजे ने भारत के समुद्र तट और समुद्री व्यापार की रक्षा के लिए नौसेना की ताकत के महत्व को पहचाना । उन्होंने ब्रिटिश, डच और पुर्तगाली जैसी औपनिवेशिक शक्तियों से कोंकण तट की रक्षा के लिए एक मजबूत नौसेना की स्थापना की। समुद्री डाकू, मछुआरे और विभिन्न समुद्री जनजातियाँ उनकी नौसेना सेना का हिस्सा थीं और मराठों ने कोलाबा के किले को अपने नौसेना मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था।
वह किलों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने कोंकण तट पर विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग सहित कई तटीय किलों का निर्माण किया। उन्होंने समुद्र पर नज़र रखने और भीतरी इलाकों की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए तट के नज़ारे वाली पहाड़ियों पर किले बनवाए।
मराठा नौसेना और अधिक शक्तिशाली हो गई और कोलाबा, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग और रत्नागिरी के किलों पर नियंत्रण कर लिया। मराठों ने लगभग 40 वर्षों तक पुर्तगालियों और अंग्रेजों को अपने दम पर खदेड़ा।
अर्नाला किला भारत के महाराष्ट्र के बेसिन से लगभग 13 किमी (8 मील) उत्तर में स्थित अर्नाला के बंदरगाह शहर से दूर एक छोटे से द्वीप पर बना है । एक द्वीप किला होने के कारण इसे जलदुर्ग भी कहा जाता है । आईएनएस अर्नाला इसी महान राष्ट्र सुरक्षा की द्योतक द्वीप के नाम पर रखा गया है ।
सुखद भविष्य को सुनहरे अतीत से सींचना शायद इसे ही कहते हैं ।
जल थल और नभ सब में भारत माता की जय का घोष हो !