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संघ का शताब्दी वर्ष: दिल्ली में मोहन भागवत करेंगे समाज से सीधा संवाद

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भूमिका: एक ऐतिहासिक अवसर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में संघ प्रमुख मोहन भागवत एक विशेष संवाद श्रृंखला की शुरुआत कर रहे हैं। इस क्रम में 27 से 29 अगस्त 2025 के बीच नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एक तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के प्रबुद्ध जनों से सीधा संवाद किया जाएगा।




व्याख्यानमाला का उद्देश्य

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य संघ के आगामी शताब्दी लक्ष्यों, समाज में व्यापक बदलाव और समरसता लाने के विचारों को साझा करना है। यह एक मंच होगा जहां संघ प्रमुख देश की ज्वलंत सामाजिक, सांस्कृतिक, और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार प्रकट करेंगे और प्रबुद्ध वर्गों से संवाद करेंगे।




प्रमुख बिंदु और भागीदारी

स्थान: विज्ञान भवन, नई दिल्ली

तारीख: 27-29 अगस्त 2025

प्रतिभागी:

उद्यमी

चिकित्सक

अधिवक्ता

शिक्षाविद

धर्माचार्य

सैन्य व प्रशासनिक अधिकारी

साहित्यकार व स्तंभकार

समाजसेवी



कुल मिलाकर, एक हजार से अधिक आमंत्रित प्रतिनिधि इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे।




संघ का रोडमैप और पंच परिवर्तन

इस व्याख्यानमाला में मोहन भागवत ‘पंच परिवर्तन’ के संघीय संकल्प को विस्तार से रख सकते हैं, जिसमें ये प्रमुख बिंदु शामिल हैं:

1. सामाजिक समरसता


2. कुटुंब प्रबोधन


3. स्व का भाव


4. नागरिक कर्तव्यों का पालन


5. पर्यावरण संरक्षण



संघ का प्रयास है कि समाज इन मूलभूत परिवर्तनों को आत्मसात करे और स्वयं बदलाव की ओर प्रेरित हो।




राष्ट्रीय मुद्दों पर संभावित संबोधन

संघ सूत्रों के अनुसार, मोहन भागवत निम्न विषयों पर भी अपने विचार रख सकते हैं:

भारत-पाक संबंध एवं युद्ध की संभावना

भारत में जातिवाद की स्थिति और समाधान

मुस्लिम समाज के साथ संबंधों को लेकर संघ की भूमिका

पश्चिमी सभ्यता का भारतीय समाज पर प्रभाव

भारतीय संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा





भविष्य की योजनाएं: मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और आम सभा

इस श्रृंखला के अंतर्गत देश के तीन अन्य महानगरों—मुंबई, कोलकाता, और चेन्नई में भी इसी प्रकार की तीन दिवसीय व्याख्यानमालाएं आयोजित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2025 में दिल्ली में एक विशाल आमसभा का आयोजन होगा, जिसमें दो लाख से अधिक स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहेंगे।




निष्कर्ष: 100 वर्षों का प्रतिबिंब, भविष्य की दिशा

RSS के शताब्दी वर्ष को भव्यता नहीं, बल्कि गुणात्मक जागरण और संगठनात्मक विस्तार के रूप में मनाया जा रहा है। यह व्याख्यानमाला न केवल संघ के विचारों को समाज तक पहुँचाने का माध्यम बनेगी, बल्कि संवाद और सहमति की नई दिशा भी तय करेगी।


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