वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पंजीकरण में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इस कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अनुचित हस्तक्षेप करता है।
आज की सुनवाई के मुख्य बिंदु
1. सीमित मुद्दों पर बहस या व्यापक सुनवाई?
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सुनवाई को केवल तीन मुख्य मुद्दों तक सीमित रखा जाए, जिन पर केंद्र ने जवाब दाखिल किया है।
- वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और एएम सिंघवी ने इसका विरोध किया और कहा कि संशोधन के कई प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हैं, इसलिए सभी बिंदुओं पर बहस होनी चाहिए।
2. मुस्लिम अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर असर
- कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि नया कानून वक्फ संपत्तियों को “गैर-न्यायिक प्रक्रिया” के जरिए कब्जाने का रास्ता खोलता है।
- वक्फ बनाने के लिए ‘पांच साल से प्रैक्टिसिंग मुस्लिम’ होने की शर्त को असंवैधानिक बताया।
- सिब्बल: “अगर कोई मृत्यु शैया पर है और वक्फ बनाना चाहता है, तो उसे पांच साल का प्रमाण देना होगा? यह अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।”
- अनुसूचित जनजाति (ST) के मुसलमानों को वक्फ बनाने से रोकने को भी धार्मिक अधिकारों का हनन बताया।
- वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की बहुलता पर भी सवाल उठाया गया।
3. वक्फ बाय यूज़र (Waqf by User) का हटना
- सिब्बल और अन्य वकीलों ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूज़र’ की अवधारणा, जिसे बाबरी मस्जिद केस में मान्यता मिली थी, अब खत्म कर दी गई है।
- अब बिना पंजीकरण के वक्फ संपत्ति का दर्जा नहीं मिलेगा और कोई भी विवाद उठाकर संपत्ति का वक्फ दर्जा खत्म किया जा सकता है।
4. प्राचीन स्मारक और वक्फ संपत्ति
- यदि कोई वक्फ संपत्ति प्राचीन स्मारक घोषित हो जाती है, तो उसका वक्फ दर्जा स्वतः समाप्त हो जाएगा, जिससे धार्मिक पूजा-अर्चना के अधिकार भी छिन सकते हैं।
5. न्यायिक प्रक्रिया और संपत्ति अधिकार
- सिब्बल ने कहा कि बिना न्यायिक प्रक्रिया के वक्फ संपत्तियों का दर्जा छिनना अनुच्छेद 14, 25, 26, 27, 300 और 300A का उल्लंघन है।
- याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि संशोधन के कई प्रावधान संसद में बिना पर्याप्त चर्चा के पारित किए गए।
6. अन्य पक्षों की दलीलें
- वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व के लिए खतरा है और संविधान के कई अनुच्छेदों के खिलाफ है।
- एएम सिंघवी ने कहा कि किसी अन्य धर्म में धार्मिक दान के लिए ऐसी शर्तें नहीं हैं, यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
- CJI बीआर गवई ने कहा कि कानून की संवैधानिकता की धारणा होती है, जब तक कोई स्पष्ट असंवैधानिकता न हो, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा।
- कोर्ट ने कहा कि अंतरिम राहत (stay) के लिए याचिकाकर्ताओं को बहुत मजबूत और स्पष्ट केस बनाना होगा।