आज हम उस महान योद्धा, विद्वान और निष्ठावान धर्मरक्षक की जयंती मना रहे हैं, जिनकी वीरता, बुद्धिमत्ता और बलिदान ने भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी — धर्मवीर छत्रपती संभाजी महाराज।
जीवन परिचय:
छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को रायगढ़ किले में हुआ था। वे छत्रपती शिवाजी महाराज और सईबाई भोसले के पुत्र थे। संभाजी महाराज न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि संस्कृत, मराठी, फारसी और अन्य भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने संस्कृत में “बुद्धिभूषण” नामक ग्रंथ की रचना की थी, जिससे उनकी विद्वत्ता स्पष्ट होती है।
वीरता और संघर्ष:
संभाजी महाराज का राज्यकाल (1681-1689) संघर्षों से भरा रहा। औरंगज़ेब की विशाल मुग़ल सेना ने मराठों को कुचलने का प्रयास किया, लेकिन संभाजी महाराज ने साहसपूर्वक उसका मुकाबला किया। वे पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ आवाज़ उठाई और लाखों लोगों को आत्मसम्मान के साथ जीने का अधिकार दिलाया।
बलिदान:
1689 में मुगलों द्वारा पकड़े जाने के बाद संभाजी महाराज को क्रूर यातनाएं दी गईं। उनसे इस्लाम स्वीकारने का दबाव बनाया गया, लेकिन उन्होंने कहा —
“मैं हिंदू जन्मा हूँ और हिंदू ही मरूंगा!”
इस अद्भुत साहस और अडिग आस्था ने उन्हें “धर्मवीर” की उपाधि दिलाई। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, लेकिन झुके नहीं।
विरासत:
संभाजी महाराज का जीवन हमें बताता है कि धर्म, संस्कृति और मातृभूमि की रक्षा के लिए जीवन का हर क्षण समर्पित किया जा सकता है। आज भी वे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं — एक सच्चे राष्ट्रभक्त, विद्वान और बलिदानी राजा।
धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि यह संकल्प लेने का दिन है कि हम भी उनके बताए मार्ग पर चलकर अपने राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा करें।
जय भवानी! जय शिवाजी! जय धर्मवीर संभाजी महाराज!