उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन, जो एशिया के सबसे बड़े मार्बल निर्यात केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है, ने तुर्की से मार्बल आयात का पूर्ण बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
यह कदम तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने और भारत-विरोधी गतिविधियों में तुर्की के शामिल होने की खबरों के बाद उठाया गया है। एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तुर्की से मार्बल आयात पर सरकारी प्रतिबंध लगाने की मांग की है, यह कहते हुए कि “व्यापार देश से बड़ा नहीं हो सकता।”
भारत के आयातित मार्बल का लगभग 70% हिस्सा तुर्की से आता है, जो हर साल 14–18 लाख टन और लगभग ₹2,500–3,000 करोड़ के व्यापार का आंकड़ा है।
केवल उदयपुर में ही 125 प्रोसेसिंग यूनिट्स में से 40–50 यूनिट्स तुर्की मार्बल का आयात करती हैं। बहिष्कार से भारतीय मार्बल की मांग बढ़ सकती है और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा। उदयपुर में शुरू हुआ यह बहिष्कार अब एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले रहा है। देश के अन्य मार्बल हब जैसे किशनगढ़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ आदि भी इसमें शामिल हो रहे हैं।

अन्य व्यापारिक क्षेत्रों (जैसे पुणे के फल व्यापारी) भी तुर्की उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।
प्रमुख बयान
“समिति के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से तुर्की के साथ व्यापार बंद करने का निर्णय लिया है क्योंकि उसने पाकिस्तान का समर्थन किया है।”
– कपिल सुराणा, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति
“हम सरकार से तुर्की के साथ मार्बल व्यापार पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और उस देश के साथ सभी आयात-निर्यात गतिविधियों पर विचार करने का आग्रह करते हैं।”
– पंकज गंगावत, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन
यह बहिष्कार स्थानीय व्यापारियों द्वारा व्यापक रूप से समर्थित है और इसे देशभक्ति के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।