भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) 6 मई 2025 को तीन वर्षों की लंबी बातचीत के बाद अंतिम रूप से संपन्न हुआ। इसे दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव पुरी के अनुसार, यह समझौता द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के एक नए युग की शुरुआत करेगा और व्यापार, निवेश तथा रोजगार के क्षेत्र में अभूतपूर्व अवसर खोलेगा।
एफटीए के तहत 99% भारतीय निर्यात वस्तुओं पर यूके में शुल्क समाप्त कर दिए गए हैं, वहीं यूके की 90% उत्पाद लाइनों पर भी भारत में शुल्क कम किए गए हैं। इसमें ऑटोमोबाइल, व्हिस्की, मेडिकल डिवाइसेज़ और वस्त्र जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
इस समझौते से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 120 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। इससे यूके की जीडीपी में 4.8 अरब पाउंड की वृद्धि होगी और भारत के निर्यात को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
नए बाज़ारों के खुलने और व्यापार बाधाओं के कम होने से दोनों देशों में रोजगार के नए अवसर बनेंगे, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और निवेश आकर्षित होगा।
यूके में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट मिलेगी, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की लागत कम होगी।
भारत ने हीरे, स्मार्टफोन और कुछ वाहनों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को शुल्क कटौती से बाहर रखा है, ताकि घरेलू उद्योगों की सुरक्षा बनी रहे और निर्यात को अधिकतम लाभ मिल सके।
संजीव पुरी के अनुसार, यह एफटीए न केवल वस्तुओं, सेवाओं, श्रमिक गतिशीलता और डिजिटल व्यापार को कवर करता है, बल्कि भारत-यूके रणनीतिक साझेदारी को भी गहरा करेगा और भविष्य के व्यापार समझौतों के लिए एक मानक स्थापित करेगा। यह दोनों देशों के लिए सतत विकास, तकनीकी हस्तांतरण और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाला समझौता है।
भारत-यूके एफटीए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नया आकार देगा, विकास को गति देगा और उद्योगों व पेशेवरों के लिए नए अवसर पैदा करेगा।
भारत-यूके एफटीए: ऐतिहासिक समझौता – संजीव पुरी (अध्यक्ष, सीआईआई) के मुख्य विचार
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Mayank Kansara
- 12 May 2025
- 8:54 am