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भारत की डिजिटल रीढ़ स्वतंत्र सुरक्षित और मजबूत

हाल ही में सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर यह दावा किया गया कि पाकिस्तान भारत की इंटरनेट संरचना पर सीधा प्रभाव डाल सकता है। इन दावों ने सामान्य जनता में भ्रम और चिंता दोनों ही पैदा किए। परंतु वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है। भारत की डिजिटल रीढ़ आज इतनी मजबूत और स्वतंत्र है कि किसी भी पड़ोसी देश, विशेषकर पाकिस्तान, का उस पर कोई नियंत्रण या असर नहीं है।

भारत की इंटरनेट व्यवस्था समुद्र के भीतर बिछी विशाल अंडरसी केबल्स पर आधारित है। वर्तमान में भारत से जुड़ी हुई ऐसी 15 से अधिक अंतरराष्ट्रीय केबल्स कार्यरत हैं। ये केबल्स अलग-अलग मार्गों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जुड़ी हुई हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी एक देश या मार्ग पर निर्भरता नहीं रहती। उदाहरण के लिए, यदि किसी कारणवश एक मार्ग बाधित हो भी जाए, तो अन्य स्वतंत्र मार्ग भारत के इंटरनेट को सुचारु रूप से चलाए रखते हैं।

पाकिस्तान का इस प्रणाली में कोई स्थान नहीं है। भारत की अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट कनेक्टिविटी सीधे सिंगापुर, श्रीलंका, यूरोप, मध्य-पूर्व और अमेरिका जैसे वैश्विक केंद्रों से जुड़ी हुई है। इसका अर्थ है कि भारत का डेटा ट्रैफिक पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरता। इसलिए यह दावा कि पाकिस्तान भारत की इंटरनेट स्पीड या सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, तकनीकी और व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोण से निराधार है।

इसके अतिरिक्त, भारत ने पिछले एक दशक में अपनी डिजिटल संप्रभुता को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डेटा सेंटरों का तीव्र विस्तार, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती, और घरेलू स्तर पर सर्वर नेटवर्क का विकास इसी दिशा में प्रयास हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत का डेटा देश की सीमाओं के भीतर सुरक्षित रहे और बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश न बचे।

भारत सरकार और निजी क्षेत्र, दोनों मिलकर, नेशनल डिजिटल कम्युनिकेशन पॉलिसी जैसी योजनाओं के माध्यम से इंटरनेट अवसंरचना को लगातार मजबूत बना रहे हैं। 5G और अब 6G अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश यह संकेत देता है कि भारत भविष्य की इंटरनेट तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में अग्रसर है।

इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान का भारत की इंटरनेट संरचना से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे भ्रमित करने वाले दावे केवल अफवाहें फैलाने और जनमानस को असुरक्षित महसूस कराने का प्रयास हैं। सच यह है कि भारत का डिजिटल नेटवर्क न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि पूरी तरह स्वतंत्र और सुरक्षित भी है।

इसलिए जब भी इस प्रकार के दावे सामने आएं, तो हमें उनके पीछे की सच्चाई को समझना चाहिए। भारत का इंटरनेट ढांचा किसी एक देश पर आधारित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैले बहुस्तरीय और स्वतंत्र नेटवर्क से संचालित होता है। यही कारण है कि भारत की डिजिटल संप्रभुता पर कोई बाहरी खतरा नहीं है।

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