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हिन्दू साम्राज्य दिवस: सनातन वैभव का उत्सव

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भूमिका
भारतवर्ष की सांस्कृतिक परंपरा में ऐसे कई गौरवशाली क्षण हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को मोड़ा और भविष्य की नींव रखी। ऐसा ही एक ऐतिहासिक दिन है — हिन्दू साम्राज्य दिवस, जो प्रतिवर्ष 6 जून को मनाया जाता है। यह दिन केवल किसी एक राजा या साम्राज्य की विजय का स्मरण नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू सभ्यता, संस्कृति, और आत्मगौरव का प्रतीक है।


हिन्दू साम्राज्य दिवस का ऐतिहासिक महत्व
6 जून 1674 को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। इस शुभ दिन पर उन्होंने एक स्वतंत्र, स्वराज्य आधारित, हिन्दू पद-पदशाही की नींव रखी — जो तत्कालीन इस्लामी और यूरोपीय साम्राज्यवाद को सीधी चुनौती थी।

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह एक क्रांतिकारी क्षण था। वह भारत की उस चेतना का पुनर्जागरण था जो लंबे समय से विदेशी आक्रांताओं के अधीन थी।

शिवाजी महाराज: हिन्दू साम्राज्य के स्थापक
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा या राजा नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा के वाहक थे। उन्होंने ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की संकल्पना दी, जो जनता के कल्याण, धर्म की रक्षा और संस्कृति के पुनरुत्थान पर आधारित थी।

उनका राज्याभिषेक पंडित गागा भट्ट द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ सम्पन्न हुआ। इस समारोह ने स्पष्ट संदेश दिया कि हिन्दू धर्म, शासन और संस्कृति आज भी जीवित हैं और पुनः उत्कर्ष की ओर बढ़ सकते हैं।

वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता
आज जबकि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है, तब भी सांस्कृतिक उपनिवेशवाद, मानसिक गुलामी और आत्महीनता जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में हिन्दू साम्राज्य दिवस केवल अतीत का उत्सव नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की दिशा तय करने का एक अवसर है।
छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साहस, संगठन और सांस्कृतिक मूल्यों के बल पर परिवर्तन संभव है।

हिन्दू साम्राज्य दिवस और राष्ट्र निर्माण
छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक ऐसा शासन मॉडल प्रस्तुत किया जो धर्म आधारित था, लेकिन कट्टरता से रहित था। उन्होंने हर धर्म और जाति के लोगों को सम्मान दिया, पर हिन्दू सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा को सर्वोपरि रखा।
इसलिए हिन्दू साम्राज्य दिवस केवल हिन्दुओं के लिए नहीं, बल्कि भारत की उस मूल चेतना का उत्सव है जिसमें धर्म, नीति, राष्ट्र और संस्कृति एकसूत्र में बंधे हैं।

भारत के लिए सन्देश
आज जब हम ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमें यह याद रखना होगा कि हमारी आत्मा हमारी संस्कृति, इतिहास और मूल्यबोध में है। हिन्दू साम्राज्य दिवस हमें स्मरण कराता है कि यदि हम अपने मूल से जुड़े रहें, तो कोई भी शक्ति हमें रोक नहीं सकती।

उपसंहार
हिन्दू साम्राज्य दिवस इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है जो केवल स्मरण के लिए नहीं, अपितु अनुकरण के लिए है। यह दिवस हमें यह संकल्प लेने का अवसर देता है कि हम न केवल भौतिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक, मानसिक और आत्मिक रूप से भी स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण करेंगे।

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