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सूचनाओं का मानव हित में उपयोग ही ज्ञान है : दत्तात्रेय होसबोले


सूचनाओं का मानव हित में उपयोग ही ज्ञान है :
दत्तात्रेय होसबोले
रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में माखनलाल
चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का पटना में आयोजन
‘भारत की ज्ञान परंपरा’ विषय पर दो दिवसीय
राष्ट्रीय संविमर्श
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पटना भारत हमेशा से ही ज्ञान आराधक राष्ट्र रहा है भारत की ज्ञान परंपरा औरों से विशेष इसलिए है
क्योंकि यह केवल हमारे बाहर मौजूद लौकिक (मटेरियल) ज्ञान को ही महत्वपूर्ण नहीं
मानती बल्कि आत्म-चिंतन द्वारा प्राप्त भीतर के ज्ञान को भी समान महत्व देती है
हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व इन
दोनों ही प्रकार के ज्ञान को कड़ी साधना से अर्जित कर ग्रंथो के रूप में मानव समाज
के लिए प्रस्तुत किया
आज चाहे योग की बात हो, विज्ञान की या फिर गणित
की, पूरी दुनिया ने भारतीय ज्ञान से कुछ न कुछ लिया है
इस प्रकार हम एक श्रेष्ठ ज्ञान परंपरा के उत्तराधिकारी
हैं
यह विचार ‘भारत की ज्ञान परंपरा’ विषय पर आयोजित
दो दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाहक
दत्तात्रेय होसबोले व्यक्त किए
। अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में इस संविमर्श का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी
राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा पटना में किया है

 
श्री होसबोले ने कहा की ज्ञान केवल पुस्तकें पढ़कर
सूचनाओं को एकत्र करना नहीं है
बल्कि इन सूचनाओं का
मानव हित में उपयोग कर पाने की क्षमता ज्ञान है
उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार
पुस्तकों के अलावा, आत्म-चिंतन के द्वारा और विभिन्न प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़कर भी ज्ञान
हासिल कर सकते हैं
उन्होंने बताया कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में इस
बात तक का उल्लेख किया गया है कि हजारों वर्ष पूर्व किस प्रकार नदियों के रास्तों
का भी वैज्ञानिक पद्धति से निर्माण कर उनको प्रवाहित किया गया
उन्होंने भारत की ज्ञान परंपरा के पुनरोत्थान
में पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा किये जाने वाले कार्यों की सराहना करते हुए
कहा की आज जहाँ कुछ विश्वविद्यालय अपने मूल उद्देश्य से भटक गए हैं, वहीँ यह
विश्वविद्यालय सही मायने में ज्ञान साधना कर रहा है
भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में किये गए
अपने महत्वपूर्ण कार्यों को विश्वविद्यालय ने देश के अलग-अलग राज्यों में पहुँचाया
है
DSC1722संविमर्श की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के
कुलपति, प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि आज के परिदृश्य तथा भविष्य की ज़रूरतों
को ध्यान में रखते हुए हमें अपने ज्ञान की समृद्ध परंपरा को उपयोग में लाने की
आवश्यकता है
आज से हजारों साल पहले जिस प्रकार हमारे ऋषि-मुनियों
ने प्रकृति को समझा था और उसके साथ जैसा सम्बन्ध स्थापित किया था, उसे आज लागू
करने की आवश्यकता है
उन्होंने कहा की उस ज्ञान को प्राप्त करने का
सबसे प्रभावशाली माध्यम संस्कृत भाषा है, जिसकी आज उपेक्षा हो रही है
उनका मानना है कि आज जिस स्तर पर संस्कृत स्कूल
तथा महाविद्यालयों में पढाई जा रही है, वह नाकाफी है
उन्होंने कहा कि आज विश्व को भारत की प्राचीन और
समृद्ध ज्ञान की आवश्यकता है
, लेकिन हमारे इस
ज्ञान के भण्डार को आज पश्चिम के कुछ कथित विद्वान अपनी समझ के अनुसार उसकी
व्याख्या करने की चेष्टा कर रहे हैं जबकि आवश्यकता है कि हम उस ज्ञान को भारतीय परंपरा
के अनुसार व्याख्या कर दुनिया तक ले जायें ताकि उसमे कोई त्रुटी न हो और उसके
औचित्य को सही मायनों में दुनिया को समझा सकें
वहीँ, उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ
साहित्यकार डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि पश्चिमी देशों ने हमेशा से ही अपने
ज्ञान परंपरा को हमारे ऊपर थोपने का प्रयास किया है जबकि हमारे देश के विद्वानों
ने समय-समय पर इसका विरोध किया
आज आवश्यकता है कि
वर्षों से उपेक्षित अपने ज्ञान को आगे लायें
DSC1729संविमर्श में सोमवार को ‘भारत में
संवाद की परंपरा’ विषय पर काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल से आये डॉ. निर्मल मणि
अधिकारी ने व्याख्यान दिया। उन्होंने भरत मुनि और महर्षि नारद को उल्लेखित करते
हुए बताया कि भारत में सदैव लोकहित में संवाद की परंपरा रही है। दूसरे सत्र में ‘भारत
में अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र की परंपरा’ विषय पर प्रख्यात साहित्यकार एवं
शिक्षाविद प्रो. रामेश्वर पंकज मिश्र ने व्याख्यान दिया। जबकि ‘भारत में अध्यात्म
का आधार’ विषय पर बीकानेर से आये स्वामी सुबोधगिरि और ‘आयुर्वेद और जीव विज्ञान की
परंपरा’ पर भोपाल से आये वैद्य चन्द्रशेखर ने अपने व्याख्यान दिए।
      आज
इन विषयों पर विमर्श :
संविमर्श में मंगलवार को वैदिक गणित पर रोहतक के राकेश
भाटिया, भारत में विज्ञान की परंपरा पर महाराष्ट्र के प्रो. पीपी होले, डॉ.
श्रीराम ज्योतिषी, डॉ. सीएस वार्नेकर, भारत की मेगालिथ रचनाओं की वैज्ञानिकता विषय
पर फ़्रांस से आये डॉ. सर्जे ली गुरियक सहित पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. संजय
पासवान के व्याख्यान होंगे।
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