Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

TRANDING
TRANDING
TRANDING

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड का शाहदरा गुरुद्वारे पर दावा खारिज किया: “जहां धार्मिक स्थल पहले से है, वहां दावा छोड़ दें”

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शाहदरा इलाके में स्थित एक गुरुद्वारे पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के दावे को सख्ती से खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिस संपत्ति पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, वहां आज़ादी से पहले से ही एक गुरुद्वारा मौजूद है और वहां लगातार धार्मिक गतिविधियां चलती रही हैं। ऐसे में वक्फ बोर्ड को अपना दावा खुद ही छोड़ देना चाहिए था।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा,

“यह ‘किसी तरह का’ नहीं, बल्कि पूरी तरह से चल रहा गुरुद्वारा है। जब वहां धार्मिक स्थल के रूप में गुरुद्वारा पहले से है, तो आपको अपना दावा छोड़ देना चाहिए।”

मामला क्या था?

  • दिल्ली के शाहदरा इलाके की एक जमीन को लेकर दिल्ली वक्फ बोर्ड और गुरुद्वारा प्रबंधन के बीच दशकों से विवाद चल रहा था।
  • वक्फ बोर्ड का दावा था कि यह संपत्ति वक्फ (मुस्लिम धार्मिक) संपत्ति है और आज़ादी से पहले यहां मस्जिद थी। बोर्ड ने इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने और कब्ज़ा दिलाने की मांग की थी।
  • दूसरी ओर, गुरुद्वारा प्रबंधन का कहना था कि यह जमीन उन्होंने खरीदी है और 1947 से लगातार यहां गुरुद्वारा संचालित हो रहा है।

अदालतों में क्या हुआ?

  • 1980 के दशक में वक्फ बोर्ड ने इस जमीन पर कब्ज़े के लिए मुकदमा दायर किया था।
  • निचली अदालत और प्रथम अपीलीय अदालत ने वक्फ बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया था।
  • इसके बाद हाईकोर्ट में अपील हुई, जहां 2010 में हाईकोर्ट ने पाया कि 1947 से यह संपत्ति गुरुद्वारे के रूप में इस्तेमाल हो रही है और वक्फ बोर्ड इसे वक्फ संपत्ति साबित नहीं कर सका। हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी।
  • कोर्ट ने कहा कि जिस स्थान पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, वहां आज़ादी से पहले से ही गुरुद्वारा है और वहां लगातार धार्मिक गतिविधियां चलती रही हैं।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस दस्तावेज या सबूत पेश नहीं कर सका।

वक्फ बोर्ड की दलीलें

  • वक्फ बोर्ड ने कहा कि पहले यहां मस्जिद थी और यह वक्फ संपत्ति है।
  • गुरुद्वारा प्रबंधन ने तर्क दिया कि संपत्ति 1953 में मोहम्मद अहसान नामक व्यक्ति ने बेच दी थी, जिसके बाद यहां गुरुद्वारा बन गया।
  • कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड को खुद ही अपना दावा छोड़ देना चाहिए था, क्योंकि यहां वर्षों से धार्मिक गतिविधियां चल रही हैं और संपत्ति का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है।

व्यापक संदर्भ

  • यह मामला वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके दावों की वैधता पर भी सवाल उठाता है।
  • सरकार वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए नए कानून और पोर्टल ला रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने शाहदरा के गुरुद्वारे पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां पहले से धार्मिक ढांचा (गुरुद्वारा) स्थापित है और लगातार धार्मिक गतिविधियां हो रही हैं, वहां वक्फ बोर्ड का दावा टिकाऊ नहीं है। इससे गुरुद्वारे की धार्मिक गतिविधियों को कानूनी सुरक्षा मिल गई है।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top