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समुद्र के नीचे बिजली की पाइपलाइन: भारत बनेगा एशिया का ऊर्जा निर्यातक, लाखों नए रोजगार का सृजन

भारत ऊर्जा निर्यात को लेकर एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है, जो देश को वैश्विक ऊर्जा बाजार में नया आयाम देगी। भारत सरकार सऊदी अरब और यूएई के साथ समुद्र के नीचे बिजली संचरण लाइनें बिछाने की तैयारी कर रही है। इन दो परियोजनाओं पर लगभग 90,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से सऊदी अरब के लिए बिजली संचरण लाइन की लागत लगभग 47,000 करोड़ रुपये और यूएई के लिए लगभग 43,000 करोड़ रुपये आएगी। सऊदी अरब के लिए समुद्र के नीचे बिछाई जाने वाली केबल की लंबाई 1,400 किलोमीटर होगी, जबकि यूएई के लिए यह लंबाई 1,600 किलोमीटर होगी। दोनों परियोजनाओं की क्षमता 2-2 गीगावॉट की होगी, यानी भारत इन देशों को बड़े पैमाने पर बिजली निर्यात कर सकेगा।

यह परियोजना भारत की ऊर्जा निर्यात नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश को बिजली, हाइड्रोजन फ्यूल सेल और रिफाइंड पेट्रोलियम जैसी ऊर्जा वस्तुओं का प्रमुख निर्यातक बनाना है। इस परियोजना से भारत को अरबों रुपये की आय होगी और देश धीरे-धीरे एक ऊर्जा निर्यातक देश के रूप में उभरेगा। इससे न केवल विदेशी मुद्रा आएगी, बल्कि देश के भीतर लाखों नए रोजगार भी सृजित होंगे। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में यह परियोजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन जैसे कोर इंजीनियरिंग क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होंगी। आने वाले समय में युवाओं को इन क्षेत्रों में कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे देश की ऊर्जा क्रांति का हिस्सा बन सकें।

भारत के लिए इस परियोजना का महत्व बहुआयामी है। पहला, इससे देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता बढ़ेगी। दूसरा, भारत वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी पहचान बनाएगा और अन्य देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा। तीसरा, इस परियोजना से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होगा, जिससे युवाओं और इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नए अवसर खुलेंगे। चौथा, यह परियोजना भारत की तकनीकी क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को नई ऊंचाई देगी। पांचवां, इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।

इस तरह, भारत की यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल ऊर्जा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को भी नया आयाम देगी। यह परियोजना भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी, जहां देश ऊर्जा निर्यातक के रूप में अपनी पहचान बनाएगा और लाखों युवाओं को रोजगार देगा।

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