राष्ट्र विरोधी तत्व हमारी उदात्त हिन्दु सांस्कृतिक विचारधारा के व्यापक होते स्वरूप से परेशान- चन्द्रशेखर जी, प्रान्त प्रचारक
आधुनिक राज्यवाद की अवधारणा में युद्धों की परिणीति से उत्पन्न राष्ट्रवाद मंगलकारी नही होता – प्रोफेसर पूनम बावा
“राष्ट्रीय अस्मिता-चिन्तन व चुनौतियां” विषय पर संगोष्ठी संपन्न
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माननीय चंद्रशेखर जी प्रान्त प्रचारक एवं श्री हेमन्त घोष, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष , अ भा वि प , राजस्थान |

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इसी सत्र् में मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम बावा ने इस संगोष्ठी को संकीर्ण मानसिकता वाले लोगो द्वारा फैलाये गये दुर्विचारों की मुक्ति के लिये किया जा रहा हवन बताया। उन्होने बताया कि आधुनिक राज्यवाद की अवधारणा में युद्धों की परिणीति से उत्पन्न राष्ट्रवाद मंगलकारी नही होता है। जबकि भारतीय संस्कृति में राष्ट्र का निर्माण सांस्कृतिक सद्भावना का स्वरूप है। इसी सत्र् मे प्रोफेसर जयश्री वाजपेयी ने भारत के प्राचीन गौरव का स्मरण कराते हुए भारतीय संस्कृति को सबसे प्राचीनतम व सर्वोच्च बताया। प्रोफेसर कैलाश डागा ने कहा कि किसी भी भाषा में धर्म का पर्यायवाची शब्द नही है। हिन्दू धर्म कहने का तात्पर्य हिन्दू जीवन पद्धति व आचार पद्धति है। प्रोफेसर चन्दनबाला जी ने कहा कि हमें राष्ट्र विखंडनवादी विचारों का प्रतिकार करना ही होगा। अतिसहिष्णुता भी राष्ट्र के लिये हितकारक नही है।

डाॅ. हरिसिंह राजपुरोहित ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है की राष्ट्रवाद के प्रहरियों को मुखर होना होगा तथा तर्क तथा तथ्यों के आधार पर आधारहीन बातों का दृढ़तापूर्वक खण्डन करना होगा। श्रीमान् अभिषेक जैन ने कहा भारतभूमि का कोई भी लाल सेना में केवल राष्ट्र सेवा के लिये ही जाता है। अध्यक्षीय उद्बोधन मे श्री हेमन्त घोष ने गौरव गहलोत का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऐसे राष्ट्रभक्त युवाओं को स्वयं आगे आना होगा एवम् उनका अभिवादन किया कि उन्होनें समय पर देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हेतु पहल की।
प्रो. प्रभावती चौधरी ने संगोष्ठी मे उपस्थित सभी प्रतिभागियों व वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा संगोष्ठी का संचालन प्रोफेसर कैलाश डागा ने किया, संगोष्ठी मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,जोधपुर के विभाग प्रचारक धर्मेन्द्र सिंह जी, प्रो. अजय गुप्ता, प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. अखिल रंजन गर्ग, प्रो.मनीष कुमार, प्रो. अरविंद परिहार, प्रो. कैलाश कौशल, डाॅ. विजयश्री, डाॅ. रश्मि मीणा, डाॅ. भानाराम गाडी, डाॅ. हिराराम, डाॅ. रामदयाल, डाॅ. रिछपाल सिंह, डाॅ. ओ.पी. देवासी, डाॅ. जी.एन. पुरोहित, डाॅ. वी.डी. दवे, डाॅ. कुलदीप गहलोत व बड़ी संख्या में प्रवक्तागण व विद्यार्थी उपस्थित थे। संगोष्ठी का समन्वयन संगठन के उपाध्यक्ष प्रो. विजय मेहता व सचिव प्रो. विकल गुप्ता ने किया।