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भारत की क्रेडिट रेटिंग ‘BBB’ हुई: इसका क्या मतलब है?

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अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी Morningstar DBRS ने भारत की लंबी अवधि की क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB (low)’ से बढ़ाकर ‘BBB’ कर दिया है, और आउटलुक को ‘स्टेबल’ रखा है।
शॉर्ट-टर्म रेटिंग भी ‘R-2 (middle)’ से ‘R-2 (high)’ कर दी गई है।

‘BBB’ रेटिंग का अर्थ

‘BBB’ निवेश के लिए सुरक्षित (इन्वेस्टमेंट ग्रेड) मानी जाती है।
इसका मतलब है कि भारत अपने कर्ज चुकाने में सक्षम है, हालांकि किसी वैश्विक या घरेलू संकट में जोखिम बढ़ सकता है।
यह रेटिंग ‘BBB+’ से एक कदम नीचे और ‘A’ से दो कदम नीचे है, लेकिन ‘स्पेक्युलेटिव’ श्रेणी से ऊपर है।

क्यों बढ़ी रेटिंग?

मजबूत आर्थिक सुधार, बेहतर फिस्कल मैनेजमेंट, बैंकिंग सेक्टर की मजबूती, और लगातार ऊंची GDP ग्रोथ।
भारत का फिस्कल घाटा घटा है, महंगाई काबू में है, और विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है।
बैंकिंग सेक्टर में एनपीए (बुरा कर्ज) 13 साल के न्यूनतम स्तर पर है।

इसका क्या असर होगा?

भारत की वैश्विक छवि और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज सस्ता मिल सकता है।
सरकार की आर्थिक नीतियों और सुधारों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है।

आगे क्या?

अगर भारत सार्वजनिक कर्ज और घाटा और घटाता है, और सुधार जारी रखता है, तो रेटिंग और ऊपर जा सकती है। अगर कर्ज बढ़ता है या आर्थिक नीतियों में कमजोरी आती है, तो रेटिंग घट भी सकती है।

‘BBB’ रेटिंग भारत के लिए निवेश, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक भरोसे का संकेत है, जो आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास और निवेश आकर्षित करने में मदद करेगी।

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