भारत सरकार ने अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में अपने किसानों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी समझौते पर “आंखें मूंदकर” हस्ताक्षर नहीं करेगा, बल्कि व्यापारिक लाभ और हानि का सावधानीपूर्वक आकलन करेगा और तभी कोई निर्णय लिया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- किसानों के हितों की रक्षा: चौहान ने कहा कि भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देगा। अमेरिका भारत के कृषि बाजार में अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ाना चाहता है, जैसे मक्का, सोयाबीन और पशु आहार, लेकिन भारत इस पर पूरी तरह से दरवाजे नहीं खोलने की नीति अपना रहा है।
- वार्ता का दौर: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बैठक के बाद तेज हुई है। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 200 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर करना है।
- शुल्क और बाजार पहुंच: अमेरिका भारत के कृषि, औद्योगिक और रक्षा उपकरणों के लिए बाजार में आसान पहुंच चाहता है, जबकि भारत अमेरिकी बाजार में टेक्सटाइल, चमड़ा, रत्न-आभूषण और कृषि उत्पादों (जैसे अंगूर, केले) के लिए तरजीही पहुंच की मांग कर रहा है।
- संवेदनशील क्षेत्र: भारत ने अमेरिका को 90% आयातित सामानों पर टैरिफ-मुक्त पहुंच देने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन ऑटोमोबाइल और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है।
- समझौते की समयसीमा: दोनों देश जुलाई 2025 तक पहले चरण के समझौते पर हस्ताक्षर करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क से बचा जा सके।
कृषि व्यापार की स्थिति
- भारत का निर्यात: भारत ने अमेरिका को जमे हुए झींगा, बासमती चावल, मसाले, प्रसंस्कृत अनाज और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात किया है।
- अमेरिका का दबाव: अमेरिका अपने कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में कम शुल्क और बेहतर पहुंच चाहता है, लेकिन भारत में कृषि पर औसत शुल्क 39-50% तक है।
- राजनीतिक चुनौतियां: दोनों देशों में किसान और पशुपालक समुदाय का राजनीतिक प्रभाव मजबूत है, जिससे कृषि क्षेत्र में शुल्क कम करना जटिल है।
भारत सरकार का स्पष्ट रुख है कि किसी भी व्यापार समझौते में किसानों के हितों की रक्षा सर्वोपरि होगी। भारत अमेरिका के साथ व्यापार को बढ़ावा देना चाहता है, लेकिन संवेदनशील कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खुला नहीं छोड़ेगा।