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बांग्लादेशी छात्र नेता पश्चिम बंगाल में मतदाता: विवाद और राजनीतिक बहस

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पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस सूची में बांग्लादेशी नागरिक न्यूटन दास का नाम शामिल है, जिसे बांग्लादेश में हुए 2024 के छात्र आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है। यह आंदोलन सरकारी नौकरियों में कोटा सुधार के लिए था और इसके दौरान न्यूटन दास को प्रदर्शनों में सक्रिय देखा गया था।


मामले के मुख्य बिंदु

  • मतदाता सूची में नाम: न्यूटन दास का नाम काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में है। उनके भाई तापस दास ने स्वीकार किया है कि न्यूटन जन्म से बांग्लादेशी हैं और उन्होंने भारत आकर पढ़ाई की, लेकिन बाद में वापस बांग्लादेश चले गए।
  • आरोप और प्रतिवाद: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया है कि न्यूटन दास बांग्लादेशी नागरिक होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में मतदाता बन गए हैं और यह टीएमसी सरकार की सहायता से हुआ है। BJP ने न्यूटन की तस्वीर भी जारी की है, जिसमें वह एक टीएमसी छात्र नेता के साथ देखे जा रहे हैं।
  • न्यूटन दास का दावा: न्यूटन दास ने एक वीडियो में अपनी भारतीय नागरिकता का दावा करते हुए कहा है कि वह 2014 से ही काकद्वीप में मतदाता हैं और 2016 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने वोट डाला था। उन्होंने कहा कि उनका भारत आना-जाना पैतृक संपत्ति के मामले से जुड़ा था।
  • टीएमसी का जवाब: टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन बीएसएफ की है। टीएमसी ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए जाने चाहिए कि कैसे मतदाता सूची में ऐसे नाम शामिल हो रहे हैं।
  • स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया: टीएमसी छात्र परिषद के सुंदरबन जिला अध्यक्ष देवाशीष दास ने कहा है कि वह न्यूटन के बांग्लादेशी होने या आंदोलन से जुड़े होने के बारे में नहीं जानते। उन्होंने कहा कि वह न्यूटन के साथ स्कूली दोस्त थे और एक बर्थडे पार्टी में उनकी तस्वीर खिंचवाई गई थी।

राजनीतिक प्रभाव

  • चुनावी राजनीति पर असर: यह मामला 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। BJP ने इसे टीएमसी की “अवैध घुसपैठ की नीति” का नतीजा बताया है, जबकि टीएमसी ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है।
  • चुनाव आयोग की कार्रवाई: इस मामले के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पंजीकरण अधिकारियों के लॉगिन डेटा की मांग की है, ताकि मतदाता सूची में हुए फर्जीवाड़े की जांच की जा सके।
  • पुलिस की जांच: अभी तक पुलिस को कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन अगर कोई शिकायत आती है तो जांच की जाएगी1

यह मामला पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की अखंडता और सीमा सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस जारी है और आने वाले समय में इसका प्रभाव चुनावी राजनीति पर पड़ सकता है।

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