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प्रताप सिंह बारहठ: जिसने 24 मई 1918 को देश पर प्राण निछावर किए



जन्म: 24 मई 1893 | बलिदान: 24 मई 1918

प्रताप सिंह बारहठ राजस्थान के शौर्य और बलिदान की जीवंत प्रतीक हैं। उनका जन्म 24 मई 1893 को जयपुर में हुआ था। वे क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ के सुपुत्र थे और बचपन से ही देशभक्ति की भावना उनके रक्त में थी।

वे भारत की आज़ादी के लिए क्रांतिकारी संगठन “अभिनव भारत” से जुड़े और अंग्रेजों के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष का रास्ता अपनाया। 1912 में जब लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया, तो प्रताप सिंह इस योजना के सह-षड्यंत्रकारी माने गए। उन्हें गिरफ्तार कर कालापानी और फिर बीकानेर जेल भेजा गया।

जेल में उन्हें भीषण यातनाएं दी गईं, लेकिन उन्होंने अपने साथियों के नाम उजागर नहीं किए। इस अद्भुत निष्ठा और साहस के कारण 24 मई 1918 को उन्हें जेल में ही शहीद कर दिया गया।

प्रताप सिंह बारहठ का बलिदान भारतीय युवाओं के लिए यह संदेश है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए कर्तव्य ही सर्वोपरि होता है। उनके ये शब्द अमर हैं –
“मैं अपनी मां को चुप कराने के लिए हज़ारों माताओं को नहीं रुला सकता।”

उनकी जन्म और शहादत की तारीख एक ही दिन – 24 मई – है, जो उन्हें एक विलक्षण बलिदानी बनाती है।

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