काठमांडू, 9 सितम्बर। नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार विरोधी आक्रोश से शुरू हुआ Gen Z आंदोलन अब राजनीतिक संकट का कारण बन गया है। बीते कुछ दिनों में हिंसक प्रदर्शनों, पुलिस की गोलीबारी और झड़पों में कई युवाओं की मौत तथा सैकड़ों लोगों के घायल होने के बाद देश के प्रधानमंत्री ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाकर युवाओं के बीच संवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने की कोशिश की थी। इससे नाराज़ युवा सड़कों पर उतर आए और देखते ही देखते आंदोलन ने पूरे देश में व्यापक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व मुख्य रूप से 18 से 25 वर्ष आयु वर्ग के छात्रों और युवाओं ने किया, जिन्हें “जनरेशन-ज़ेड आंदोलनकारी” कहा जा रहा है।
पिछले सप्ताह की हिंसक झड़पों में राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों में कर्फ़्यू लगाना पड़ा और हालात काबू करने के लिए सेना तक को तैनात करना पड़ा। इस दौरान पुलिस कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए। लगातार बढ़ते दबाव और विपक्षी दलों के आरोपों के चलते गृहमंत्री ने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन हालात और बिगड़ने के बाद अंततः प्रधानमंत्री को भी पद छोड़ना पड़ा।
विपक्षी दलों ने इसे “युवाओं की जीत और लोकतंत्र की बहाली” बताया है, वहीं आंदोलनकारी अभी भी भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर संघर्ष जारी रखने की घोषणा कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य में एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ सोशल मीडिया और तकनीक के माध्यम से संगठित युवा शक्ति अब सीधे सत्ता को चुनौती देने की स्थिति में आ चुकी है।
नेपाल में gen-z का उभार : हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
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Mananya Singh
- 9 September 2025
- 3:20 pm