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चंद्रबाबू नायडू का बड़ा बयान: ‘मातृभाषाएं हमारी पहचान, हिंदी सीखना भी फायदेमंद – भाषा हमें जोड़े, बांटे नहीं

तेलुगु देशम पार्टी (TDP) प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक सशक्त बयान देकर भाषा के मुद्दे पर चल रही बहस को नया मोड़ दे दिया। नायडू ने स्पष्ट कहा कि तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम जैसी दक्षिण भारतीय भाषाएं हमारी मातृभाषाएं हैं, इन्हें सीखना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है, इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। लेकिन साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि हिंदी सीखना हमारे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोल सकता है और पूरे देश को एक सूत्र में बांधने में मदद कर सकता है।



नायडू ने कहा, “हमें अपनी मातृभाषाओं पर गर्व है और इन्हें सीखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन इसके साथ-साथ, हिंदी सीखने से हमारे युवाओं को देशभर में नौकरियों और संवाद के बेहतर अवसर मिल सकते हैं। भाषा हमें जोड़ने का माध्यम है, न कि बांटने का।”

यह बयान तब आया जब वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और कुछ अन्य वर्गों द्वारा दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर सवाल उठाए गए थे। नायडू ने उनके इस प्रोपेगेंडा को सिरे से नकारते हुए साफ किया कि हिंदी किसी पर थोपी नहीं जा रही, बल्कि यह एक अतिरिक्त कौशल है, जिससे युवाओं को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और भाषाई विविधता को सम्मान देना चाहिए, लेकिन एकता के लिए संवाद की एक साझा भाषा भी जरूरी है।

नायडू के इस बयान को दक्षिण भारत के युवाओं और अभिभावकों ने भी सकारात्मक रूप में लिया है।

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