गिलगित-बाल्टिस्तान में हाल ही में पांच प्रमुख अवामी एक्शन कमेटी (ACC) नेताओं-चेयरमैन एहसान अली एडवोकेट सहित-की गिरफ्तारी के बाद पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
ये गिरफ्तारियां 26 मई को होने वाली एक महत्वपूर्ण ‘ग्रैंड जिरगा’ से ठीक पहले हुईं, जिससे स्थानीय लोगों में यह धारणा बनी कि यह क्षेत्रीय अधिकारों के लिए उठ रही आवाजों को दबाने की सोची-समझी कोशिश है।
गिलगित, स्कर्दू और हुंजा के अलीाबाद में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की, बैनर लहराए और कराकोरम हाईवे को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि जब तक नेताओं को रिहा नहीं किया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे।
गिरफ्तार नेताओं पर आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत “राज्यविरोधी गतिविधियों” और “हेट स्पीच” का आरोप लगाया गया है, खासकर हालिया भारत-पाक सीमा तनाव के दौरान।
ACC और नागरिक समाज ने इन गिरफ्तारियों को राजनीतिक स्टंट और स्थानीय स्वायत्तता की मांग को दबाने की साजिश बताया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार, राजनीतिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के मुद्दे लगातार अनदेखे किए जा रहे हैं, और अब शांतिपूर्ण विरोध को भी कुचला जा रहा है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में यह जनआंदोलन पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के खिलाफ स्थानीय असंतोष और अधिकारों की मांग का प्रतीक बन गया है। गिरफ्तार नेताओं की रिहाई और क्षेत्रीय स्वायत्तता की मांग को लेकर विरोध तेज़ होता जा रहा है, जिससे पाकिस्तान सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में सामूहिक गिरफ्तारियों के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन
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Mayank Kansara
- 18 May 2025
- 6:40 pm