अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित सभी उत्पादों पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 8 अप्रैल 2025 की मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को एक नए स्तर पर ले गया है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की संभावना है।
टैरिफ का कारण और प्रभाव
ट्रंप प्रशासन ने इस कदम को “लेवलिंग द प्लेइंग फील्ड” (समान अवसर प्रदान करना) के रूप में प्रस्तुत किया है। अमेरिका लंबे समय से चीन पर अनुचित व्यापार प्रथाओं, बौद्धिक संपदा की चोरी और बाजार में हेरफेर करने का आरोप लगाता रहा है।
- प्रभावित क्षेत्र: इस टैरिफ का असर इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता वस्तुओं और अन्य चीनी आयातों पर पड़ेगा। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला: विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकता है और आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ा सकता है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने इस कदम को “एकतरफा धमकी” करार दिया है और जवाबी कार्रवाई करने की बात कही है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह कदम “गलतियों पर गलतियां जोड़ने” जैसा है और चीन अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए अंत तक लड़ाई करेगा।
- जवाबी टैरिफ: चीन पहले ही अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगा चुका है, जिसे ट्रंप प्रशासन ने इस नए 104% टैरिफ के लिए जिम्मेदार ठहराया।
- चीन का रुख: चीनी अधिकारियों ने कहा कि वे व्यापार वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन किसी भी तरह की धमकी के आगे झुकेंगे नहीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन के सैन्य खर्च को लेकर भी अपना रुख और सख्त कर लिया है, और इसे अमेरिका-चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध से सीधे तौर पर जोड़ दिया है। ट्रंप ने चिंता व्यक्त की कि चीन अपने व्यापार अधिशेष — जिसे वे सालाना लगभग 500 से 600 अरब डॉलर के बीच मानते हैं — का इस्तेमाल अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में कर रहा है। उन्होंने कहा:
“मैं नहीं चाहता कि वे अपनी सेना पर पैसा खर्च करें,”
और यह भी स्पष्ट किया कि यह अधिशेष चीन के रक्षा निवेशों में जा रहा है, जो उनके अनुसार वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा हैं।
चीन ने 2025 के लिए अपना सैन्य बजट 1.78 ट्रिलियन युआन (लगभग 245 अरब डॉलर) तय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.2% की वृद्धि दर्शाता है। ट्रंप ने इस वृद्धि की आलोचना करते हुए कहा कि यह बजट आंशिक रूप से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार असंतुलन से मिल रहे फायदों से पोषित हो रहा है।
इसी के जवाब में ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर चीन ने अपने जवाबी व्यापारिक उपाय वापस नहीं लिए, तो अमेरिका चीन से होने वाले आयात पर 104% तक टैरिफ लगा सकता है। इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने 34% और 50% के टैरिफ भी लगाए थे, जो उनके आर्थिक दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा रहे हैं ताकि चीन की सैन्य महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
चीन ने ट्रंप के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे “ब्लैकमेल” (धमकी)” कहा है और वादा किया है कि वह “अंत तक लड़ाई लड़ेगा”। बीजिंग का कहना है कि उसके सभी जवाबी कदम संप्रभुता की रक्षा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानकों को बनाए रखने के लिए उठाए गए वैध प्रयास हैं।
यह टकराव केवल व्यापार तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यह एक व्यापक भू-राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है, जिसमें दोनों देश आर्थिक और सैन्य दबाव के बीच किसी भी तरह झुकने को तैयार नहीं हैं।
