अमेरिका इन दिनों अपने हालिया इतिहास के सबसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। लॉस एंजिलिस (LA) में शुरू हुए दंगे और विरोध-प्रदर्शन अब 15 राज्यों में फैल चुके हैं, जिनमें वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और यहां तक कि अलास्का जैसे राज्य भी शामिल हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है और नेशनल गार्ड तथा मरीन सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी है।
इस अशांति की शुरुआत 6 जून, 2025 को LA में इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) एजेंसी की छापेमारी के बाद हुई। छापों के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें, आगजनी, लूटपाट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने LA में 400 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और शहर के कुछ हिस्सों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति को “विद्रोह” और “कानूनविहीन दंगे” करार देते हुए LA में 4,000 नेशनल गार्ड और 700 मरीन सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया है। टेक्सास, न्यूयॉर्क, जॉर्जिया, फ्लोरिडा, शिकागो, वॉशिंगटन डीसी, अलास्का, सिएटल, फिलाडेल्फिया, डेनवर, अटलांटा, डलास, फीनिक्स, सैक्रामेंटो, हार्टफोर्ड, टैम्पा, बाल्टीमोर, डेट्रॉइट, लुइसविल, रैले, जैक्सनविल और ओमाहा जैसे शहरों में भी विरोध-प्रदर्शन और हिंसा की खबरें हैं।
टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने भी राज्य में नेशनल गार्ड तैनात करने का आदेश दिया है। वहीं, कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने ट्रंप के सैन्य हस्तक्षेप को “राज्य की संप्रभुता का उल्लंघन” बताते हुए इसका विरोध किया है।
इन दंगों ने अमेरिकी समाज में गहरे विभाजन, नस्लीय तनाव, प्रवासी विरोधी नीतियों और राजनीतिक ध्रुवीकरण को उजागर कर दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर हालात काबू में नहीं आए तो अमेरिका गृहयुद्ध जैसी स्थिति की ओर बढ़ सकता है।
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी समेत कई राज्यों में कर्फ्यू, सेना की तैनाती, सैकड़ों गिरफ्तारियां और लगातार बढ़ती हिंसा ने देश को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया है। यह संकट अमेरिकी लोकतंत्र, कानून व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।