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बाबा साहब के जीवन को, उनके मूल्यों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है – दुर्गादास जी संघ बाबासाहब के ही देखे हुए सपने को पूरा करने में लगा है – डाॅ. अमीलाल भाट

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बाबा साहब के जीवन को, उनके मूल्यों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है –   दुर्गादास जी
संघ बाबासाहब के ही देखे हुए सपने को पूरा करने में लगा है – डाॅ. अमीलाल भाट 
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के  क्षेत्रीय प्रचारक  माननीय  दुर्गादास जी उध्बोधन देते हुए 

जोधपुर १४ अप्रैल २०१६। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जोधपुर महानगर द्वारा श्रद्धेय बाबा साहब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जी का 125वां जयंती समारोह  मेडीकल काॅलेज सभागार में आयोजित हुआ। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. एस.एन. मेडीकल काॅलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डाॅ. अमीलाल भाट  ने कहा कि संघ को लेकर समाज में अनेक भ्रांत धारणाएँ फैलायी जाती है जबकि संघ को समझने वाला व्यक्ति जानता है कि संघ बाबासाहब के ही देखे हुए सपने को पूरा करने में लगा है। इस भ्रांत धारणा को समाज से दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म सर्व समावेशी है। इस दर्शन में विश्व के सभी धर्मों और तत्वों का सार निहित है। बाबासाहब भारत रत्न नहीं वरन विश्व के रत्न है।
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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के  क्षेत्रीय प्रचारक  माननीय  दुर्गादास जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रद्धेय बाबासाहब संपूर्ण समाज के पथ प्रदर्शक थे, किसी वर्ग, दल या जाति तक सीमित नहीं थे। किंतु यह विडम्बना है कि उनका मूल्यांकन सही नहीं हो पाया। वे एक विश्वविभूति थे जिनका जन्म दैवीय योग से विशेष प्रयोजना हेतु हुआ था। 
माननीय  दुर्गादास जी ने उध्बोधन देते हुए बताया  कि तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों ने डॉ. आंबेडकर के हृदय पर गहरा आघात किया और समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर करने हेतु वे कृतसंकल्प हो उठे। वे समाज में व्याप्त दोषों के, विषमता के विरोधी थे। किसी जाति विशेष या वर्ग विशेष के नहीं। बाबा साहब एक दूर दृष्टा थे जिन्होंने तत्कालीन विदेश नीति और विभाजन के संबंध में खुल कर विचार दिये और धारा 370 को देश के लिए खतरा बताया एवं पूर्ण जनसंख्या विनिमय को विभाजन की समस्या का एक मात्र हल बताया। 
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IMG 0020बाबा साहब संघ के सम्पर्क में आये और संघ के कार्य और लक्ष्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की, किंतु उनका कहना था कि संघ की कार्यगति थोड़ी धीमी है और मेरे पास इतना समय नहीं है। 1949 में संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाने हेतु भी उन्होंने सरकार के समक्ष अपनी बात रखी। बाबा साहब कम्युनिज्म के घोर विरोधी थे और उनका कहना था कि दलित वर्ग और कम्युनिज्म के बीच मैं एक दीवार हूॅ। हिन्दू धर्म छोड़ने की घोषणा के पश्चात् ईसाइ व इस्लाम मतावलम्बियों ने उनसे खूब सम्पर्क किया किंतु उन्होंने स्पष्ट मना कर दिया एवं हिन्दू धर्म के ही निकट बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। 

दुर्गादास जी ने जोर देकर कहा कि आज बाबा साहब के जीवन को, उनके मूल्यों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है। समरस समाज के बाबा साहब के सपने को पूरा करने के लिए हम अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर इसे मूर्त रूप अवश्य देंगे यही उनके जयंती समारोह को मनाने का सच्चा उद्देश्य होगा। 

मंच पर प्रांत संघचालक श्री ललित जी शर्मा एवं विभाग संघचालक डाॅ. शान्तिलालजी चौपड़ा भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभिनव पुरोहित ने किया।

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