अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील, एल्युमिनियम और ऑटोमोबाइल उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के जवाब में भारत ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के तहत अमेरिकी उत्पादों पर करीब ₹32,000 करोड़ (लगभग 3.82 अरब डॉलर) के बराबर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत ने यह कदम WTO के नियमों के तहत उठाया है, जो सदस्य देशों को अनुचित टैरिफ के जवाब में जवाबी शुल्क लगाने की अनुमति देता है
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। अमेरिका द्वारा भारतीय ऑटोमोबाइल, स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिकी उत्पादों पर लगभग 724 मिलियन डॉलर (करीब ₹6,000 करोड़) के प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखता है। यह कदम अमेरिका द्वारा 3 मई 2025 से भारत से आयातित यात्री वाहनों, हल्के ट्रकों और कुछ ऑटो पार्ट्स पर 25% शुल्क लगाने के निर्णय के बाद उठाया गया है।
भारत ने साफ किया है कि वह अमेरिका से आने वाले चयनित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर WTO के अंतर्गत दी गई व्यापार रियायतों को निलंबित करेगा। अमेरिका ने 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर स्टील (25%) और एल्युमिनियम (10%) पर शुल्क लगाए थे। 2025 में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में इन शुल्कों को और बढ़ा दिया गया, जिससे भारत सहित कई देशों के निर्यात पर सीधा असर पड़ा।
भारत ने WTO के सेफगार्ड समझौते के तहत इन टैरिफ को चुनौती दी है। भारत का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ से उसके लगभग 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर सीधा असर पड़ा है और अब वह अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाकर अपनी व्यापार रियायतें निलंबित करेगा। भारत ने खास तौर पर बादाम, अखरोट, धातु और अन्य अमेरिकी उत्पादों को निशाना बनाने की योजना बनाई है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि WTO में जवाबी टैरिफ लगाने की प्रक्रिया का भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (BTA) पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा और दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रहेगी। हालांकि, अमेरिका ने अभी तक भारत को अपनी टैरिफ लिस्ट से बाहर रखा है, लेकिन 1 अगस्त के बाद स्थिति बदल सकती है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर विवाद हुआ हो। 2018 में भी इसी तरह का विवाद हुआ था, जिसे बाद में MAS (म्यूचुअली एग्रीड सॉल्यूशन) के जरिए सुलझाया गया था। इस बार भारत ने WTO के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है कि वह एकतरफा या अनुचित नीतियों को स्वीकार नहीं करेगा।
ब्राज़ील ने भी अमेरिकी टैरिफ नीति के खिलाफ WTO में भारत के साथ खड़ा होने का संकेत दिया है। ब्राज़ील पहले भी अमेरिका के खिलाफ WTO में कपास, संतरे और स्टील जैसे मामलों में कई बार केस जीत चुका है और अब वह भारत के साथ मिलकर अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों का विरोध करने की तैयारी में है.
ब्राज़ील ने ऐतिहासिक रूप से WTO में अमेरिका के खिलाफ कड़ी कानूनी लड़ाई लड़ी है और अरबों डॉलर के अमेरिकी निर्यात पर जवाबी टैरिफ की धमकी दी थी।
इस बार भी ब्राज़ील ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर टैरिफ नीति नहीं बदली गई तो वह भी जवाबी कार्रवाई करेगा।