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ULPGM V3: भारत का घातक ‘ड्रोन लॉन्च टैंक स्लेयर’ मिसाइल—युद्ध की दिशा बदलने वाला हथियार

भारत ने रक्षा क्षेत्र में नई छलांग लगाते हुए DRDO द्वारा विकसित ULPGM V3 (UAV Launched Precision Guided Missile – Version 3) का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और ड्रोन्स से दागी जा सकती है—जो आधुनिक युद्ध की जरूरतों के लिए क्रांतिकारी साबित हो रही है। इसे विशेष रूप से दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और किलाबंदी वाले ठिकानों को मिनटों में नष्ट करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है, जिससे इसे ‘टैंक स्लेयर’ और ‘रीपर’ की संज्ञा दी जा रही है।

इस मिसाइल में इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) डुअल-चैनल सीकर लगाया गया है, जिससे यह दिन-रात, हर मौसम में सटीक टार्गेटिंग करने में सक्षम है। इसका ‘फायर एंड फॉरगेट’ मोड ऑपरेटर को टार्गेट लॉक करने के बाद पूरी आज़ादी देता है, और पोस्ट-लॉन्च डेटा लिंक के जरिए चलता-फिरता टार्गेट भी अंतिम क्षण तक निशाने पर रखा जा सकता है। ULPGM V3 का वजन करीब 12.5 किलो है, जो इसे छोटे या बड़े किसी भी भारतीय ड्रोन प्लेटफार्म से आसानी से फायर करने लायक बनाता है और इसकी रेंज दिन में 4 किमी तथा रात में 2.5 किमी तक है।

ULPGM V3 की सबसे बड़ी विशेषता इसका ‘टॉप-अटैक’ स्ट्राइक मोड है—यह मिसाइल टैंकों के सबसे कमजोर भाग यानी ऊपर की ओर हमला करती है, जहां कोई भी कवच नहीं होता। इसमें तीन तरह के वॉरहेड विकल्प हैं—एंटी-आर्मर, प्री-फ्रैगमेंटेशन और बंकर बस्टर—जो इसे मल्टी-रोल बनाते हैं। इसके निर्माण में DRDO के साथ-साथ भारतीय स्टार्टअप्स और निजी कंपनियां भी शामिल हैं, जिससे यह मेक इन इंडिया अभियान की कामयाबी का प्रतीक बन गया है।

यह मिसाइल न सिर्फ भारत की भूमि सेना को अभेद्य सुरक्षा देती है, बल्कि दुश्मन की भारी टैंक फौजों को दूर से ही खत्म करने के लिए एक निर्णायक गेमचेंजर साबित होगी। नेटवर्क्ड वॉरफेयर, कम लागत और ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी के साथ आने वाला यह सिस्टम अब भविष्य के युद्धों में भारतीय सैन्य शक्ति का नया चेहरा है।

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