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मराठा साम्राज्य (हिंदू साम्राज्य) के पेशवा बाजीराव प्रथम: विजय अभियानों और दिल्ली पर प्रभुता

पेशवा बाजीराव प्रथम (1700–1740) मराठा साम्राज्य (हिंदू साम्राज्य) के सबसे प्रतिभाशाली और अजय सेनानायक थे। वे छत्रपति शाहूजी महाराज के प्रधानमंत्री बनकर लगातार मराठा शक्ति का विस्तार करते गए। उनकी अगुवाई में भारत के अनेक क्षेत्र मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हुए और दिल्ली जैसे मुगल साम्राज्य के गढ़ तक भी उनका सिंहनाद गूंजा।

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प्रमुख विजय अभियान और विस्तार

1. मालवा तथा बुंदेलखंड की विजय

वर्ष 1729–1732: बाजीराव ने उत्तरी भारत में पहला झंडा मालवा और बुंदेलखंड में फहराया। उन्होंने गंगूबाई और छत्रसाल बुंदेलखंड के सहयोग से तात्या और मालवा विजय अभियान चलाया।
– इससे मालवा, झांसी, सागर, ग्वालियर जैसे क्षेत्र मराठा नियंत्रण में आ गए।

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2. गुजरात और प्रदेशों का अधिग्रहण

गुजरात: बाजीराव के नेतृत्व में उनकी सेना ने गुजरात में लगातार विजय पाई और दक्षिणी गुजरात (वडोदरा, सूरत) में मराठा राजस्व वसूली शुरू कर दी।
1773 के आसपास: अहमदाबाद, सूरत और कुछ अन्य क्षेत्रों को मराठा हुकूमत के अधीन कर लिया गया।

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3. दिल्ली पर आधिपत्य स्थापित करना

1737 का दिल्ली अभियान: बाजीराव ने अपनी घुड़सवार सेना के साथ चमत्कारी फुर्ती दिखाते हुए दिल्ली तक पहुँच गए। उन्होंने मुगल बादशाह को बिना किसी खास प्रतिरोध के विवश कर दिया।
मुहम्मद शाह को आत्मसमर्पण: दिल्ली के समीप बाजीराव की फौज ने मुगल सेना को पराजित किया तथा बादशाह को समझौता करने पर मजबूर कर दिया।
    – कैसा निर्णायक हमला था, जिसे इतिहास में “दिल्ली की गूंज” के नाम से जाना जाता है।
– इसके बाद दिल्ली, आगरा, मथुरा, मेरठ समेत कई उत्तर भारतीय नगर मराठा कर वसूली के दायरे में आ गए।

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4. बंगाल की सीमाओं तक विस्तार

ओरछा–कटक: बाजीराव के अभियान के फलस्वरूप बंगाल की सीमा – कटक तक मराठा सैनिक पहुँच गए और वहां से कर वसूलने लगे।

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5. निजाम और हैदराबाद पर नियंत्रण

1728 में पलखेड़ युद्ध: निज़ाम-उल-मुल्क को परास्त करके हैदराबाद के कई हिस्सों पर मराठा वसूली का अधिकार मिला।

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युद्ध-कला और रणनीति

घुड़सवार सेना की फुर्ती: बाजीराव की सेना त्वरित आक्रमण, दूरगामी घुड़सवारी, और बिना थके सैकड़ों मील का सफर तय करने में सक्षम थी।
छापामार युद्ध नीति: बाजीराव ने छापामार शैली की युद्ध नीति अपनाई, जिससे शत्रु अचानक हमला झेलने के लिए तैयार नहीं रहता था।
सीधा शत्रु की राजधानी पर आक्रमण: यह नई रणनीति थी, जिससे मुगलों, निज़ाम या अन्य शासकों को सदैव असहज स्थिति में रखा।

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विस्तार का परिणाम

– बाजीराव प्रथम के अभियान से मराठा साम्राज्य का विस्तार “कटक से अटक” तक पहुँच गया।
– दिल्ली जैसे मुगल सत्ता के केंद्र में मराठाओं का दबदबा कायम हुआ और कर वसूली का अधिकार मिला।
– उनकी विजय योजनाएं इतनी व्यापक थीं कि भारत का अधिकांश भूभाग, अर्थात मध्य, पश्चिम, दक्षिण और पूर्वी भारत, हिंदू साम्राज्य के अधीन आ गया।
– उन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में स्थानीय सहयोगियों को साथ जोड़ा, जिससे मराठा शक्ति लगातार बढ़ती रही।

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निष्कर्ष

पेशवा बाजीराव प्रथम ने भारत के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया। उनके कुशल सेनापतित्व, छापामार युद्ध नीति, तेज-तर्रार सेना, और दिल्ली विजय जैसे साहसी अभियानों ने मराठा साम्राज्य (हिंदू साम्राज्य) को चारों दिशाओं में विस्तार दिया। दिल्ली समेत कई प्रमुख प्रदेशों पर अधिकार ने उन्हें इतिहास के सबसे सफल सेनानायकों की श्रेणी में ला खड़ा किया।


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