
पूरा क्षेत्र ६०० फुट चौड़ा और ८०० फ़ीट लम्बाई में वायर फैंसिग की बैरिकेडींग से सुरक्षित किया गया है। आने जाने के लिये ४ मुख्य दरवाज़े बने हुए हैं।
क्षेत्र के सभी मार्ग ५० फ़ीट चौड़े पने हुए है।
किसी भी परिस्थिति में बड़े साधनों का भी त्वरित आवागमन किया जा सके।
पुरे क्षेत्र मे विशाल आकार के ३५ फ़ीट ऊँचाई के ७ जर्मन हैंगर लगे हुए हैं। प्रत्येक हैंगर की चौड़ाई ३० मीटर और लम्बाई लगभग ६० मीटर है।
अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले द्वारिकाधीश पंडाल बना हुआ है। जिसमें एक विशाल ४ फ़ीट उंचा ६५’ चौड़ा और ४० फ़ीट गहरा स्टेज बना हूआ है जिस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
इस पंडाल में २००० लोगों के बैठने की कूर्सी और सोफ़े लगाए गए हैं।
अगला वाला पंडाल चश्मा घर है यह भी ३० मीटर गुणा ६० मीटर में बना हुआ है। १४ ब्लॉक का एक ऑपीडी रजिस्ट्रेशन कक्ष बना हुआ है। आँखों की जाँच हेतू इसमे ८० ऑपीडी केबीन बने हुए है। जिसमें आँखों की जाँच की बहुत ही महंगी मशीनें रखी गई हैं। यह सम्पूर्ण हैंगर वातानुकूलित है।
अगले वाला हैंगर चश्माघर है यह भी सम्पूर्ण वातानुकूलित हैंगर बना हूआ है।
इसमे ४५ फ़ीट गुणा १८० फ़ीट लंबी चश्मा की फैक्ट्री बनी हुई है। जहाँ आँखों का नंबर का चश्मा हाथों हाथ बनाकर तैयार करते हैं।
साथ ही चार ब्लॉक में वेटिंग लॉज बनाये हुए हैं। जहाँ चश्मा लेने वाले ८०० दर्शनार्थी आकर बैठते कूर्सी पर और चश्मा तैयार होने पर उनका नाम पुकार कर चश्मा दिया जाता है।
इसी हैंगर मे ६ ऑपीडी स्टाल सामान्य जाँच के लिये बने हुए हैं।
अगली वाली लाईन में तीन हैंगर हैं इसके बाद वाली लाइन में चार हैंगर ३० मीटर गुणा ६० मीटर के बने हुये हैं।
पहला हैंगर जिसमें डॉक्टर आवास और अतिथि आवास बना हुआ है।
इस हैंगर मे २४’ गुणा २०’ मे २९ आवास बने हुए है। सभी आवास में अटैच लैट-बाथ बने हुए है। पुरा हैंगर वातानुकूलित है। इसमें लगभग १२० अतिथियों के रूकने की सम्पूर्ण व्यवस्था है।
अगले २ हैंगर नेत्र कुंभ में कार्यरत कार्यकर्ता बंधुओं और कार्मिक लोगों के लिए आवास के रूप में बनाये गये हैं। यह भी सम्पूर्ण वातानुकूलित आवास है।
प्रत्येक हैंगर मे १६ कक्ष बने हुए हैं। प्रत्येक कक्ष मे १८ कार्यकर्ता के रूकने की पूरी व्यवस्था की गई हैं।
पुरे परिसर मे १०० टॉयलेट और १०० बाथरूम बने हुए हैं। साथ रही समुचित मात्रा में युरीनल और वाशबेसीन का भी निर्माण किया गया है।
इसमें से महिलाओं के लिये अलग से पुरा टॉयलेट कॉम्प्लेक्स बनाया गया है। जिसमें १६ बाथरूम और १६ टॉयलेट बनाये गये हैं।
बहार से आने वाले दर्शनार्थी जन के लिये १० बाथरूम और २० युरीनल की सुविधाएं की गई है।
एक विशाल भोजन कक्ष टेबल कूर्सी सहित बना हुआ है। जिसमें एक साथ ४५० व्यक्ति भोजन कर सकते है। ४५ गुणा १०० की एक अर्ध पक्की रसोई घर भी बनाया गया है जिसको आयरन डॉम से कवर किया गया है।
मेडिसिन के स्टोरेज के लिये एक मेडिकल स्टोर बनाया गया है।
सामान्य आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक विशाल सामान्य स्टोर भी परिसर में बनाया गया है।
पानी के स्टोरेज के लिये पूरी तरह से कवर्ड भूमिगत पक्के ८ टैंक का निर्माण किया गया हैं। जिससे पानी की पाइप लाईन बिछाकर पानी को सभी जगह आवश्यकतानुसार ले जाया गया है।
सुरक्षा की द्रष्टिकोण से परिसर के चारों कोनों पर १२ फ़ीट उंचे वॉच टावर बनाए गए हैं।
इलेक्ट्रिक की निर्बाध आपूर्ति के लिए १२ ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। और साथ में एक टैम्परेरि पॉवर सब स्टेशन का भी निर्माण किया गया है
जर्मन हैंगर (डॉम)का ढांचा एल्यूमीनियम से बना होता है, जो इसे हल्का और जंग-प्रतिरोधी बनाता है। एल्यूमीनियम के अलावा, इसमें स्टील के तार और अन्य मज़बूत धातुएं भी इस्तेमाल होती हैं, जो इसे बहुत मजबूत बनाती हैं। यह r ग़िस्तानी तूफ़ान, तेज़ हवा और भारी बारिश का सामना आसानी से कर सकता है
साथ ही इस हैंगर की सबसे बड़ी खासियत इसकी वाटरप्रूफ होने की क्षमता है। इसकी छत और दीवारें PVC से बनी होती हैं, जिसे गर्मी से सील किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बारिश का पानी अंदर नहीं जा सकता।
जर्मन हैंगर में इस्तेमाल होने वाला PVC कपड़ा आग-रोधी (fire retardant) होता है, जो आग लगने की स्थिति में आग को फैलने से रोकता है। यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में।
एक विशिष्ट एल्यूमीनियम जर्मन हैंगर हवा का दबाव बहुत अच्छी तरह से सहन कर सकता है। इसकी संरचना को 100 किमी/घंटा (लगभग 62 मील प्रति घंटा) तक की हवा की गति का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सुरक्षा विशेषता इसे विभिन्न मौसमी परिस्थितियों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनाती है।
जर्मन हैंगर अक्सर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों, जैसे कि DIN 4102 B1, M2, CFM, के अनुसार प्रमाणित होते हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि वे आग और तेज़ हवा जैसी स्थितियों का सामना कर सकें।
लेखक
श्याम सिंह जी
प्रबंध सह संपादक पाथेय कण जयपुर