भारत की बढ़ती नौसैनिक कूटनीति
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भारत की बढ़ती नौसैनिक कूटनीति सितंबर 2025 में स्पष्ट रूप से देखी गई, जब भारतीय नौसेना ने सद्भावना बंदरगाह यात्राओं, हिंद महासागर मिशनों और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया। यह महीना भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें भारत की वैश्विक गतिविधियों को एक नई दिशा मिली।
हिंद महासागर में बढ़ती उपस्थिति
सितंबर 2025 में, भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाया। इंडिया-फ्रांस संयुक्त नौसेना अभ्यास “वरुण” ने इस क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण मौका दिया। इस अभ्यास में भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने मिलकर समुद्री सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें मानव व्यापार, आतंकवाद, और समुद्री सुरक्षा शामिल थे।
इस जैसे अभ्यास न केवल भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाते हैं, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण सहयोगी भी बनाते हैं।
सद्भावना बंदरगाह यात्राएं
सद्भावना बंदरगाह यात्राएं भारतीय नौसेना की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। सितंबर 2025 में, भारतीय युद्धपोतों ने मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम के बंदरगाहों का दौरा किया।
ये यात्राएं मित्र राष्ट्रों के साथ रिश्तों को मजबूत करने और समुद्री सुरक्षा में सहयोग के लिए महत्वपूर्ण थीं। उदाहरण के लिए, मलेशिया के पोर्ट क्लांग में भारत और मलेशिया के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग पर बातचीत हुई, जिससे दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को और मजबूती मिली।
भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पहुंच
भारत ने भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को भी मज़बूत किया। भारतीय नौसेना के जहाजों ने इस क्षेत्र के कई प्रमुख बंदरगाहों का दौरा किया, जिसमें स्पेन और इटली शामिल हैं।
इन यात्राओं के दौरान, भारतीय नौसेना ने भूमध्यसागरीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दिया। इस तरह की गतिविधियाँ न केवल भारत की नौसैनिक क्षमताओं की पहचान करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
भारतीय नौसेना की वैश्विक भूमिका
भारत की बढ़ती नौसैनिक कूटनीति से यह स्पष्ट है कि भारतीय नौसेना वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और सहयोग के लिए committed है। हिंद महासागर से लेकर भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक, भारत की नौसैनिक गतिविधियाँ उसकी रक्षात्मक और सामरिक दृष्टिकोण को स्थिति में लाती हैं।
इस प्रकार, भारत ने अपने मित्र राष्ट्रों के साथ रिश्तों को मजबूत करते हुए समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
सितंबर 2025 भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण महीना रहा, जिसमें उसने अपनी वैश्विक उपस्थिती को एक नए स्तर पर ले जाने का कार्य किया। सद्भावना बंदरगाह यात्राएं, हिंद महासागर मिशन और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पहुंच ये सभी तत्व भारतीय नौसेना की बढ़ती कूटनीतिक शक्ति को दर्शाते हैं। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत अपनी नौसैनिक कूटनीति के माध्यम से और कौन-से नए कदम उठाएगा।
भारतीय नौसेना के इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह वैश्विक समुद्री सुरक्षा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।