राजस्थान सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरिनगर करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह नामकरण भर्तृहरि धाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को सम्मानित करने के साथ-साथ उज्जैन के प्रसिद्ध राजा और तपस्वी भर्तृहरि की लोकमान्यता को रेखांकित करता है।
भर्तृहरि धाम: एक प्राचीन तपोभूमि
भर्तृहरि धाम, अलवर जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व के निकट स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है। यह मंदिर पारंपरिक राजस्थानी स्थापत्य शैली में निर्मित है और चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है। मंदिर अलवर शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर जयपुर-अलवर मार्ग पर स्थित है। यह स्थान उज्जैन के राजा भर्तृहरि की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, जिन्होंने राजपाट त्यागकर संन्यास ग्रहण किया था। मंदिर परिसर में एक अखंड दीपक जलता है, जिसे भर्तृहरि की ज्योति के रूप में पूजा जाता है।
भर्तृहरि मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र मेवात और अहिरवाल की सांस्कृतिक संगम स्थली के रूप में जाना जाता है, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। मंदिर के सातवें द्वार पर स्थित भर्तृहरि की समाधि और अखंड ज्योति इसे श्रद्धालुओं के लिए विशेष बनाती है।

भर्तृहरि मेला: आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक
हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल अष्टमी को भर्तृहरि धाम में भव्य मेला आयोजित होता है, जिसे अलवर के लख्खी मेले के नाम से जाना जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु देश भर से आते हैं, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है। यह मेला वर्ष में दो बार, श्रावण और भाद्रपद महीनों में आयोजित होता है, जिसमें भाद्रपद का मेला विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
नामकरण का महत्व
खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरिनगर करने का निर्णय क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह जिला, जो 4 अगस्त 2023 को अलवर जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया, सात तहसीलों—तिजारा, किशनगढ़ बास, खैरथल, कोटकासिम, हरसौली, टपूकड़ा, और मुंडावर—को समेटे हुए है। भिवाड़ी, जिसे “आधुनिक राजस्थान का मैनचेस्टर” कहा जाता है, इस जिले का प्रमुख औद्योगिक केंद्र है।
नामकरण के इस कदम से न केवल भर्तृहरि धाम की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए और आकर्षक बनेगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह निर्णय उनकी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति देगा।
खैरथल-तिजारा का भर्तृहरिनगर के रूप में नामकरण राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। भर्तृहरि धाम, अपने ऐतिहासिक महत्व, प्राकृतिक सौंदर्य, और वार्षिक मेले के कारण पहले से ही लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र है। यह निर्णय न केवल क्षेत्र की धार्मिक पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।